नई दिल्ली – भारत का पिछले कई महीनों से सीमा को लेकर चीन के साथ विवाद चल रहा है। भारत ने अपनी सीमा की रक्षा के लिए इस कड़ाके की ठंड में भी पूर्वी लद्दाख, सियाचिन और ऊंचाई वाले बर्फीले इलाकों में हजारों सैनिकों को तैनात किया है। तेज ठंड के कारण यहां तैनात सैनिकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन अब यहां तैनात जवानों को ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने भारतीय सेना के लिए हिम तापक हीटिंग डिवाइस तैयार की है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि बैक बलास्ट और कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता के कारण जवानों की मौत न हो।

हिम तापक एक ऐसी डिवाइस है, जिसके जरिए बंकर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी गर्म रहेगा।
डिफेन्स इंस्टिट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलाइड साइंसेज के निदेशक डॉ. राजीव वार्ष्णेय ने बताया कि भारतीय सेना ने इस डिवाइस के लिए 420 करोड़ रुपए के ऑर्डर दिए हैं। इस डिवाइस को सेना और आईटीबीपी की उन पोस्ट पर लगाया जाएगा, जहां तापमान कम है। उन्होंने बताया कि डीआरडीओ ने भारतीय सेना को अत्यधिक ठंड में मदद करने के लिए कई उत्पाद विकसित किए हैं। इनमें एक ‘एलोकल क्रीम’ है, जो अत्यधिक ठंड वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को फ्रॉस्ट बाइट (शीतदंश), चिलब्लेन्स और ठंड से लगने वाली चोटों को रोकने में मदद करता है। भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख, सियाचिन और अन्य क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए इस क्रीम के 3.5 लाख जार का ऑर्डर दिया ह
डीआरडीओ के वैज्ञानिक सतीश चौहान ने बताया कि पूर्वी लद्दाख, सियाचिन और इसी तरह के अन्य क्षेत्रों में ठंड के दौरान पीने के पानी की समस्या आती है। इसके समाधान के लिए स्नो मेल्टर तैयार किया है। इससे ठंड के दौरान बर्फीले इलाकों में तैनात जवानों को पीने का पानी मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि हमने सियाचिन, खारदुंगला और तवांग क्षेत्रों में परीक्षणों के लिए सेना को स्नो मेल्टर प्रदान किया। ये उपकरण हर घंटे 5 से 7 लीटर पीने का पानी जवानों को प्रदान कर सकता हैं।