उत्तराखंड ऐसा पर्टयक राज्य है जहाँ पहाड़ की वादियों को देखने के लिए देश के कोने कोने से लोग आते हैं. पर्यटन राज्य होने के साथ साथ यह प्रदेश धार्मिक स्थानों मे भी विशेष महत्व रखता हैं। जहां चारों धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री मौजूद हैं। इसी लिए इसे देवभूमि भी कहा जाता है. जहां धार्मिक नगरी हरिद्वार के घाट पर पूजा होती है। तो ऋषिकेश की अपनी अलग धार्मिक पहचान है। चलिए ये तो था इसका धार्मिक दृष्टीकोण, जिसे आप पहले से ही जानते हैं।

लेकिन आज मैं आपको उत्तराखंड की उन जगह से रूबरू करवाऊंगा, जो आम लोगों की आँखों से छुपी हुई है। या जिनके बारे मे कम ही लोग जानते हैं। जिनकी पहचान धार्मिक और पर्यटक स्थलों के रूप मे है।
अगर आपको सुकून की तलाश है और पर्यटक जगह देखना चाहते हैं तो आपको अल्मोड़ा के डोल आश्रम ज़रुर आना होगा। अल्मोड़ा के डोल आश्रम में पूरे साल हजारों की संख्या मे लोग दर्शन के लिए आते हैं. उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लॉक में यह आश्रम बना हुआ है. जो भारतीय सभ्यता और संस्कृति की जीती जागती मिसाल है। प्रकृति की गोद में बसे डोल आश्रम में आने वाले लोगों के मन को एक अजीब सी शांति मिलती है।

अगर आप उत्तराखंड घूमने आये हैं. और फूलों की वादी में बिखरी फूलों की महक का आनंद नहीं लिया तो सच मानिये आपने बहुत कुछ मिस किया है. ये फूलों की घाटी चमोली ज़िले के गोविन्दघाट में है. फूलों की घाटी को पिंडर घाटी और पिंडर वैली नाम से भी जाना जाता है. फूलों की घाटी में घूमने के लिए लिये जुलाई, अगस्त और सितंबर का महीना सबसे अच्छा माना जाता है. सितंबर के महीने में यहां राज्य पुष्प ब्रह्मकमल भी खिलते हैं.

अगर आप नैनीताल घूमने आए हैं तो, हैडा खान बाबा का मंदिर भी देख आइये। यहाँ की शांत वादी और सौंदर्यता आपका मन मोह लेगी। ये जगह आध्यात्मिकता का केंद्र भी है. साथ ही यहाँ हर साल देश विदेश से अनेक श्रद्धालू आते हैं. यहां आकर लोग अपनी सारी परेशानी भूल जाते हैं. और यहां की हरी-भरी वादियों के बीच खो जाते हैं।

उत्तराखण्ड में कालू सैयद बाबा का नाम भी बहुत प्रसिद्ध है. यहां कई जगह पर उनके नाम की दरगाह भी मिलती हैं. अल्मोड़ा कैंट में कालू सैयद बाबा की 7 शताब्दी पुरानी मजार मौजूद है. मजार के पास में ही बाबा के घोड़े की कब्र भी है. अल्मोड़ा और रानीखेत मे हर साल बाबा का उर्स होता है. जो गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है. अगर आप उत्तराखंड आ रहे हैं तो कालू सैयद बाबा की मज़ार पर मुराद ज़रूर मांग कर जाएं।

पहाड़ में बर्फ़बारी और सुहाने मौसम के अलावा भी बहुत कुछ अनोखा है. ये आप तब जान पाएंगे जब पहाड़ो की खेती को देखेंगे। मैदानी इलाकों में हुई खेती तो आपने देखी होगी, लेकिन पहाड़ की सीढ़ी नुमा खेती देख कर आप चौक जायेंगे। कि किस तरह पहाड़ में किसान खेती करते हैं. तो आपको ये भी एक बार ज़रुरु देखना चाहिए।

उत्तराखंड के ऋषिकेश में 50 से ज़्यादा घूमने की जगह हैं. जहाँ आपको धार्मिक और पर्यटक का कॉम्बिनेशन मिलेगा। यहां मंदिर, आश्रम और टूरिज़्म की कई जगह मिल जाएंगी। और रिवर राफ्टिंग यहां का सबसे चर्चित स्थान है. तो अगर आपको राफ्टिंग का शोक है, ज़रूर इसका लुत्फ़ उठायें।

जैसा कि आपको पता है उत्तराखण्ड को देवभूमि भी कहा जाता है. धार्मिक स्थलों में बागेश्वर का बैजनाथ महादेव मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है. जहां पूरे साल देश के अलग अलग हिस्सों से भोले के भक्त दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था. और हर साल चैत्र पक्ष की अमावस्या पर यहां मेला भी लगता है. जिसमें श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

नैनीताल शहर अपने कुदरती नज़ारों के लिए जाना जाता है. इसकी प्राकर्तिक सौंदर्यता सभी को अपनी ओर खीँचती है. लेकिन क्या आपको पता है. नैनीताल अपने स्कूल की वजह से भी जाना जाता है. नैनीताल के बोर्डिंग स्कूल में देश विदेश से बच्चे पढ़ने आते हैं. यहां शेरवुड, सेंट जोसफ, बिरला विद्या मंदिर, सेंट मेरी, सेंट अम्तुल्स जैसे बोर्डिंग स्कूल हैं. जिनकी चर्चा देश विदेश भी होती है.

तो ये थी उत्तराखण्ड कि कुछ ऐसी जगह जो आपको ज़रूर देखनी चाहिए। अगर आप पहाड़ों के सफर पर निकले हैं, तो मशहूर जगहों के साथ साथ इन जगहों को भी देखना मत भूलना.