भारतीय सेना में महिला अफसरों की बड़ी जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को महिला सेना अधिकारियों की याचिका पर महिला अफसरों से जुड़े एक केस में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने परमानेंट कमीशन के लिए महिला अफसरों के लिए बनाए गए मेडिकल फिटनेस मापदंड को मनचाहा और तर्कहीन बताते हुए सेना को दिशा-निर्देश दिए हैं कि जिन महिला अफसरों को मेडिकल ग्राउंड पर PC से बाहर किया गया है, उन पर एक महीने के भीतर महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन देने पर विचार कर नियमित प्रक्रिया का पालन करते हुए इन अधिकारियों को स्थायी कमीशन दे अगर वो मेडिकली फिट होती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महिला अफसर अपने नौकरी के 10वें साल में जिस मेडिकल स्टैंडर्ड में थी, उनको उसी के हिसाब से आंका जाए। इससे महिला अफसरों को बड़ी राहत मिल सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली HC ने इस पर 2010 में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने का आदेश दिया था 10 साल बीत जाने के बाद। एक बार फिर SC ने फरवरी 2020 में अपना फैसले देने के बावजूद सेना में कई महिला अधिकारियों को फिटनेस के आधार पर स्थायी कमीशन नही दिए जाने को गलत बताया। लेकिन 284 में से सिर्फ161 महिलाओं को परमानेंट कमिशन दिया गया है। इस दौरान जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने बहुत अहम बात कही कि ‘हमारा समाज पुरुषों द्वारा पुरुषों के लिए बनाया गया है। आर्मी ने मेडिकल के लिए जो नियम बनाए वो महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करता है।