PM मोदी ने रविवार को 'मन की बात' के पहले एपिसोड में राष्ट्र को संबोधित किया. इसी क्रम में देवभूमि उत्तराखंड की बसंती देवी का जिक्र किया, जिन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इस साल के 'मन की बात' के पहले एपिसोड में राष्ट्र को संबोधित किया. यह मन की बात का 85वां संस्करण था. कार्यक्रम में उन्होंने पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त चार गुमनाम नायकों के बार में बताया. उन्होंने इसी क्रम में देवभूमि उत्तराखंड की बसंती देवी का जिक्र किया, जिन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि पद्म पुरस्कार पाने वाले में कई ऐसे नाम भी हैं. जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये हमारे देश के अनसंग हैं, जिन्होंने साधारण परिस्थितियों में असाधारण काम किए हैं। जैसे कि उत्तराखंड की बसंती देवी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
कौन हैं उत्तराखंड की बसंती देवी
बसंती देवी उत्तराखंड की प्रसिद्ध समाज सेविका हैं. 60 साल की बसंती देवी पिथौरागढ़ के बस्तड़ी की रहने वालीं है.उन्होंने अपना पूरा जीवन संघर्षों के बीच जिया. राज्य में महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण संरक्षण, पेड़ों व नदी को बचाने के लिए अपना योगदान दिया है.
12 साल की उम्र में ही बसंती देवी का विवाह हो गया था. और दो साल बाद ही उनके पति का निधन हो गया. दूसरा विवाह करने की बजाय उन्होंने पिता की प्रेरणा से मायके आकर पढ़ाई शुरू कर दी। इंटर पास करने के बाद गांधीवादी समाजसेविका राधा बहन से प्रभावित होकर सदा के लिए कौसानी के लक्ष्मी आश्रम में आ गईं.
जिसके बाद बसंती देवी कौसानी स्थित लक्ष्मी आश्रम में रहने लगी. उन्होंने कोसी नदी का अस्तित्व बचाने के लिए महिला समूहों के माध्यम से जंगल को बचाने की मुहिम शुरू की. घरेलू हिंसा और महिला उत्पीडऩ रोकने के लिए उनका जनजागरण आज भी जारी है.