नीम करौली बाबा की महिमा आप सभी जानते होंगे, उनके आशीष से मिली लोगों की उनन्नाती के बारे भी जानते होंगे, बाबा के जीवन की पूरी गाथा बताएंगे.
नीम करौली बाबा की महिमा आप सभी जानते होंगे, उनके आशीष से मिली लोगों की उनन्नाती के बारे भी जानते होंगे, आज हम आपको बाबा के जीवन की पूरी गाथा बताएंगे. उनके जीवन से लेकर उनके अंतिम पल तक की यात्रा करवाएंगे।
नीम करौली बाबा का जन्म सन् 1900 में उत्तरप्रदेश में आगरा के पास फिरोजाबाद के एक गाँव अकबरपुर में हुआ था. उनके पिता का नीम दुर्गा दास शर्मा और माता के नाम कौसल्या देवी शर्मा था। बाबा को सब बजरंग बली का अवतार मानते हैं. उनके पिता जी ने उनका नाम लक्ष्मी नारायरण शर्मा रखा, बाबा के कम उम्र में ही उनकी माता का देहांत हो गया, जिसके बाद 13 साल की उम्र में ही बाबा जी ने घर को त्याग दिया था, और तपस्या के लिए निकल गए थे.
बाबा जी ने अपने चमत्कार बचपन से दिखाने शुरू कर दिए थे. बाबा जहां भी जा कर तप करते थे वहाँ चमत्कार होते थे. भक्त बाबा को श्रद्धा से कई नामों से पुकारते थे. कोई उनको हांडी वाला बाबा, कोई तलैया बाबा, कोई तिकोनिया वाला बाबा, कोई चमत्कारी बाबा, तो कोई नीम करौली (कारोरी) बाबा कह के पूजने लगे थे. बाबा सदैव बस कंबल ओढ़ के ही रहते थे और भक्त उनको कंबल ही भेंट में देते थें.
बाबा की शक्ति का वर्णन कई किताबों में किया गया है. 'मिरैकल ऑफ लाइफ' अननंत कथा अम्रत 'द डिवाइन रियल्टी' जैसी किताबे हैं. जिसमे उनकी शक्ति का बखान किया गया है.
एक बार की बात है बाबा बिना टिकट के आगरा से नैनीताल की ट्रेन मे बैठ गए थे. टीटी के टिकट मागने पर बोले नहीं है तो टीटी ने उनको अगले स्टेशन पर ही उतार दिया. बाबा के उतरते ही ट्रेन चलना बंद हो गई सब परेशान हो गए कि ऐसा क्या हो गया, जो ट्रेन नहीं चल रही है. लोगों के दोबारा कहने पर टीटी ने बाबा को ट्रेन में बैठने को बोला तो बाबा के चमत्कार से ट्रेन अपने आप चलने लगी.
बाबा 1961 मे जब नैनीताल आए तो वो बजरंग बली की मूर्ति स्थापित कर के वहीं वास करने लगे थे। जब बाबा नैनीताल घूम रहे थे तो कैंची धाम बहुत प्रिय लगा। बाबा वहीं वास करने लगे और 15 जून 1964 मे बजरंग बली का और माँ भगवती का मंदिर बनवा के वहीं तप करने लगे. तब से 15 जून को कैंची धाम में भव्य भंडार और मेला लगता है. बाबा की महिमा और चमत्कार की गाथा देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. बाबा बहते जल से पहाड़ों पर घी के दीपक जलवाते थे, लोगों की मन की बात जान जाते थे. और उनकी कामना को पूरा करते थे. बीमार लोगों को ठीक कर देते थे. गूंगे उनके आगे बोलने लगते थे.
सिर्फ यही नहीं, एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स अपने बिजनस को लेकर काफी परेशान थे. वो एक बार नैनीताल घूमने आए थे तो वो नीम करौली बाबा के पास भी उनसे मिलने गए, नीम करौली बाबा से की गई इस मुलाकात के बाद स्टीव की कंपनी आज ऊँचाइयाँ छू रही है. ऐसे ही जब फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग बिजनेस लॉस में थे तो स्टीव जोब्स के कहने पर वो भी नीम करौली बाबा के पास गए थे, जिसके बाद उनके सारे काम बनने लगे. रिचर्ड एलर्ट अमेरिकी गणितज्ञ, वो बाबा से मिलते ही उनके सबसे बड़े संत बन गए. हॉलिवूड जोलिया रोबडर्स के तो काम बाबा की फोटो देखने मात्र से ही बनने लगे थे. बाबा के दर्शन के लिए कैची धाम प्रधान मंत्री मोदी से ले कर सारे सेलिब्रिटी भी आते है और उनकी भक्ति करते है.
बाबा अपने अंतिम समय को जानते थे. उन्होंने जहाँ से ट्रेन की यात्रा शुरू की थी वहीं आ कर उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. वह दोबारा ट्रेन से आगरा स्टेशन आए और 8 सितम्बर 1973 को उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए. उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार वृंदावन में हो और उनके प्रिय भक्त पूर्णनन्द के साथ उनके बाकी और भक्तों ने उनकी अर्थी को कंधा दे ऐसा ही किया।
मगर कैंची धाम मे आज भी बाबा की छत्र छाया है. वहाँ के भक्त कहते थे बाबा की मृत्यु के बाद वहाँ स्थापित बजरंग बली, माता भगवती, राम सीता जी की मूरत तक से आंसू निकले थे. बाबा अंतिम समय निकलते व्यक्त अपना कंबल बजरंग बाली के दर पर छोड़ कर आगरा के लिए निकले थे. आज भी जो वहाँ जिस कामना से जाता है उसकी वो कामना बाबा पूरी करते है. आज भी चमत्कार देखने को मिलते है.