आइये आपको ले चलते हैं गोला गोकर्ण नाथ के मंदिर इसको छोटा काशी कहते हैं।
आइये आपको ले चलते हैं गोला गोकर्ण नाथ के मंदिर..........
लोग क्यों इसको छोटा काशी कहते हैं।...................
क्या हैं इसकी कहानी.................
आइए जानते हैं इससे जुड़ी सभी पौराणिक कथाये, और आपको इससे जुड़ी पूरी जानकारी देगे:
गोला गोकर्ण नाथ को भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता हैं। ये नगर उतर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले से 35 किलो मीटर की दूरी पर स्थित हैं ये नगरी प्राचीन काल से ही बहुत महत्व रही हैं। छोटा काशी रेलवे स्टेशन से 100 मीटर की दूरी पे स्थित हैं। पौराणिक कथाओं में बताया जाता हैं जब त्रेता युग में भगवान राम और रावण का युद्ध चल रहा था। उस समय युद्ध जीतने के लिए रावण ने भगवान शिव की तपस्या की और शिव को प्रसन्न कर लिया। तांकि वह युद्ध में विजय हो सके। शिव से वरदान मांगा की वह उनके साथ सदैव के लिए लंका चले और वही अपना सदैव के लिए वास करे। शिव जी रावण के साथ चलने को राजी हो गए। भगवानों को लगा की यदि शिव जी वहाँ चले गए तो रावण का अत्याचार लोगों पर और बढ़ जायेगा और रावण युद्ध जीत जायेगा। तब भगवानों के अनुरोध करने पर शिव जी ने रावण को वरदान देने के साथ साथ शर्त भी लगा दी हम शिवलिंग के रूप मे तुम्हारे साथ चलने को तैयार है मगर तुम मेरी शिवलिंग को कैलाश से उठा के सीधे लंका में ही रख सकते हो यदि तुमने मेरी शिवलिंग को कही बीच में रख दिया तो मैं वहीं स्थापित हो जाऊंगा सदैव के लिए। रावण को शिव जी की ये शर्त मंजूर हो गई। और रावण शिवलिंग को ले कर कैलाश से चल दिया। रास्ते में चलते समय रावण की मार्ग में ही लघुशंका लगी तो उसने मार्ग में मिले एक चरवाहे को रोका और बोला की शिव लिंग को पकडो और जब तक मैं ना आऊ तब तक इसे धरती पर मत रखना। और रावण लघुशंका करने चला गया उसी समय भगवान शिव ने अपना वजन बढ़ा दिया जिस वजह से चरवाहा शिवलिंग उठाये रखने में असमर्थ हो गया और रावण को आवाज दी उसके बाद शिवलिंग को धरती पर रख दिया। रावण के शिवलिंग उठाने पर जब शिवलिंग नहीं उठी तो रावण को शिव जी की चलाकी समझ आ गई की शिव जी ही मेरे साथ लंका नहीं जाना चाहते थे ताकि राम युद्ध जीत जाए। जिस कारण रावण ने क्रौध में आ कर अपने अंगूठे से शिव लिंग को वही दबा दिया जिस कारण शिवलिंग में गाय के कान जैसा निशान बन गया जिस कारण उस शिवलिंग का नाम गोकर्ण पड गया और वहाँ के स्थान गोला को गोला गोकर्ण कह कर यानि छोटा काशी कह कर बुलाने लगे।
चरवाहे को मारने के लिये रावण ने फिर पीछा किया जिस कारण चरवाहे डर कर कुँआ में कुंद गया। जिस कारण वो मर गया और वह जगह भूतनाथ के नाम से जानी जाने लगी जिस कारण भूतनाथ के नाम पर आज वही वहाँ मेला लगता हैं और माना जाता हैं की गोकर्ण नाथ के दर्शन के बाद भूत नाथ के दर्शन करने के बाद ही वहाँ की यात्रा पूर्ण मानी जाती हैं इसी शहर में बजाज हिंदुस्तान शुगर मील लिमिटेड संभवता एशिया का सबसे बड़ा शुगर मील हैं यह नगर प्राकर्तिक सुंदरता से भरपूर मनमोहक हैं यहाँ पर प्रति वर्ष एतिहासिक चेत्री मेला भी लगता हैं जो भगवान गोकर्ण नाथ के लिए लगता हैं।