क्या हैं आखिरकार राम सेतु का रहस्य, भगवान श्री राम द्वारा बनाया गया है ये सेतु. या फिर वैज्ञानिको द्वारा माना हुआ प्राकृतिक रहस्यों से बना है सेतु .
क्या हैं आखिरकार राम सेतु का रहस्य ......
क्या भगवान श्री राम द्वारा बनाया गया हैं ये सेतु या फिर .....
वैज्ञानिको द्वारा माना हुआ प्राकृतिक रहस्यों से बना हैं सेतु ......
क्या हैं इसका सच आइए जानते रहस्यमय सेतु का सच ....
अद्यात्म से विज्ञान तक की खोज ...........
हमारा भारत देश सोने की चिडियां इसलिए कहलाता हैं क्योंकी इस देश की मिटटी को पाने के लिए स्वयं भगवान इस देश की धरती पर जन्म लेते हैं बड़े बड़े राजाओ ,ऋषि मुनि ,देव, इस देश की महिमा का गान करते नहीं थकते हैं। पौराणिक कथाओ का वर्णन रामायण ,महाभारत ,वेदो में लिखा हैं। जिसका प्रमाण देश के कोने कोने में स्थित धर्मिक स्थल देते हैं। जहाँ का रहस्य आज तक कोई भी नहीं जान पाया हैं। इसी तरह का एक रहस्य और जुड़ा हैं। श्री राम की महिमा का कि राम सेतु का निर्माण कैसे हुआ। जब श्री राम १४ वर्ष का वनवास काट रहे थे उस वक्त वन में रहने के दौरान रावण नाम के राक्षस ने भगवान राम की पत्नी सीता का हरण कर लिया रावण लंका का राजा हुआ करता था। जो आज के श्रीलंका देश में थी। रावण सीता को लंका लेकर गया। लेकिन जैसा आप सभी जानते हैं कि श्रीलंका और भारत के बीच विशाल हिंद महासागर हैं जिसे पार कर पाना नामुनकिंन हैं। जिसे पार करने के लिए श्री राम ने समुद्र देव से रास्ता मांगने के लिए प्र्थना करी जब समुद्र देव नहीं सुने।
विनय ना मानत जलधि जड़ ,गए तीन दिन बीत ।।
बोले राम सकोप तब ,भय बिनु होई ना प्रीति ।।
श्री राम का क्रोध देख तब समुद्र देव आये और बोले हे राम मैं आपकी सेवा में सदैव तत्पर मैं आपको रास्ता देता हूँ आपकी सेना पथियो में नल- नील नाम दोनों भाई हैं। जो बाल्यकाल में बड़े सरारती थे। वो ऋषियों का समान उठा उठा के नदी में फेंक आया करते थे। जिससे दुखी होकर एक बार एक सिद्ध ऋषि ने उन्हें श्राप दिया कि वो जो कुछ भी समान उठा कर पानी में भेकेंगे वो कभी पानी में नहीं डुबेगा। आज वही श्राप आपके काम आएगा। नल विष्वकर्मा का ओसर पुत्र हैं उसे शिल्प कला भी आती हैं। यदि नल नील दोनों भाई अपने हाथ से जल में पत्थर डाल कर समुद्र के ऊपर सेतु बांधने का कार्य करे तो लंका तक एक ऐसी सेतु का निर्माण हो जायेगा। जिसके ऊपर से आपकी सेना समुद्र पार कर लंका तक चली जायगी और मैं भी इन सेतु को सदैव बांधे रखूँगा। श्री राम की भक्ति में हनुमान और उनकी सेना मिल कर पत्थरों पर राम -राम का नाम लिख कर समुद्र में नल-नील द्वारा पत्थरों को प्रवाह करने लगे और पुल बांधने लगे। ये पुल का निर्माण कार्य 5 दिन में ही पूरा हो गया था। ये पुल 100 योजन का लम्बा और 10 योजन का चौड़ा पुल था। वाल्मीकि जी ने रामायण में लिखा हैं। वानरों ने पहले दिन में 14 योजन , तीसरे दिन में 21 योजन , चौथे दिन 22 योजन, और पांचवे दिन 23 योजन लम्बा सेतु बना दिए थे। जिस कारण रामायण में इस सेतु को नल सेतु का भी नाम दिया गया है। वहीं समुद्र तट पर श्री राम जी द्वारा बनाया गया शिवलिंग जिसे राम जी पूज्यनीय मानते थे उनकी पूजा करके समुद्र पार कर सेना लंका ले गए। उसी शिवलिंग को आज सब रामेश्वर शिवलिंग कहते है।
।। रमेशः ईश्वरः यह्ह साः रामेश्वरः (जो राम का ईश्वर है वो रामेश्वर है ) ।।
और दूसरी तरफ विज्ञानं राम सेतु को प्राकृतिक रहस्यों से बना सेतु मानता हैं राम सेतु समुद्र के बीच गुजरने वाला एक सेतु या सड़क हैं। जो तमिलनाडु के पम्बन आइलैंड और श्री लंका के मन्नार आइलैंड को जोड़ता हैं। इस सेतु का निर्माण कब कैसे हुआ था इसका पता लगाने के लिए "आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया"A S I के अधीन आने वाले सेन्ट्रल एडवायजरी बोर्ड ने "अंडरवाटर रिसर्च प्रोजेक्ट" को मंजूरी दे दी। जिसकी रिसर्च करेंगे "नेशनल इंस्टीटूड ऑफ़ ओशियनोग्राफी "N I O के वैज्ञानिक संस्कृति और पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल और कई वैज्ञानिको ने बताया की सैटेलाइट तस्वीर देखकर लगता हैं की दोनों आइलैंड के बीच स्थित "टॉमबोलो सेक्शन " मानव निर्मित हैं लेकिन इस जगह प्राकृतिक का एक अलग ही खेल हैं। रिसर्च के दौरान पता चला की रामसेतु के पत्थर के नीचे जो रेत का स्थर हैं वो 4000 साल पुराना हैं और उसके ऊपर तैरता पत्थर 7000 साल पुराना हैं। जो की साइंटिफिक पॉइंट ऑफ़ व्यू से ये असम्भव हैं. क्यूंकि यहाँ रेत का होंना चाइये था क्यों की रेत पत्थर से ज्यादा पुरानी हैं।
कुछ वैज्ञानिक रामसेतु को राम की महिमा से बनी वानरों द्वारा निर्मित सेतु कहते हैं और कुछ वैज्ञानिक रामसेतु को प्राकृतिक बना सेतु मात्र मानते हैं ,आप सभी भी अपनी राय दे की क्या सच मानती दुनिया राम सेतु को ,क्या है जानते है लोग रामसेतु के बारे में.