नहीं रहे मुगल-ए-आज़म के शहज़ादे सलीम..98 की उम्र में ली आखिरी सांस

बॉलीवुड के गोल्डन दौर के अंतिम स्तंभ दिलीप कुमार ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया..उन्होंने 98 साल की उम्र में अंतिम सांस ली..

नहीं रहे मुगल-ए-आज़म के शहज़ादे सलीम..98 की उम्र में ली आखिरी सांस
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बॉलीवुड के गोल्डन दौर के अंतिम स्तंभ दिलीप कुमार ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया. दिलीप कुमार को उनकी खास एक्टिंग और स्टाइल के लिए हुमएस याद किया जाएग दिलीप साहब अगर दो साल और जी जाते तो शायद बॉलीवुड के ऐसे पहले नायक बन जाते, जिसने उम्र के 100 साल पूरे किए हो लेकिन ऐसा हो न सका. दिलप साहब 01 दिसंबर 1922 को पेशावर में पैदा हुए जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है उनका असली नाम यूसुफ सर्वर खान था. ये कहना ग़लत न होगा की वो बॉलीवुड के पहले लीजेंड खान थे. दिलीप साहब का परिवार बड़ा था वो 12 भाई-बहनों मे चौथे नंबर थे.

चली आपको सुनाते है दिलीप साहब की ज़िंदगी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से ।

दिलीप कुमार की पढ़ाई लिखाई इंग्लिश मीडियम स्कूल में हुई थी इस लिहाजा अपने जमाने के लिहाज से वो एजुकेटेड हीरो माने जाते थे. देश के बटवारे के बाद उनका परिवार पेशावर से मुंबई आ गया. उनके पिता गुलाम सरवर खान ने यहाँ फलों का बिजनेस शुरू किया.

एक बाद उनके पिता से उनकी अनबन हो गई और वो पुणे चले गए. वहां जाकर उन्होंने सैंडविच सी छोटी सी दुकान खोली जो कैंट एरिया में थी. जब इसका कान्ट्रैक्ट खत्म हुआ तो उन्हें वापस लौटना पड़ा, लेकिन अबकी बार वो 5000 रुपया जोड़कर लौटे थे, जो उस जमाने के लिहाज से बड़ी रकम थी.

दिलीप अपने पिता का व्यावसाय नहीं करना चाहते थे.1943 में उनकी मुलाकात डॉक्टर मसानी से हुई. उन्होंने उनसे बॉम्बे टॉकीज में काम करने को कहा. वहीं पर युसूफ खान की मुलाकात देविका रानी से हुई. देविका रानी ने उन्हें 1250 रुपये की सैलरी पर इस कंपनी में नौकरी दी. यहां उनकी मुलाकात अशोक कुमार और सशाधर मुखर्जी से भी हुई जिन्होंने उनसे नेचुरल एक्टिंग करने को कहा. कुछ ही सालों में ये दोनों उनके अच्छे दोस्त बन गए. शुरूआत में युसूफ खान यहां पर स्टोरी लिखने और स्क्रिप्ट को सुधारने में मदद करते थे क्योंकि उनकी उर्दु अच्छी छी. बाद में देविका रानी ने उन्हें नाम बदलने की सलाह दी देविका ने युसुफ खान को तीन नाम सुझाए और उसमें एक चुनने के लिए कहा. ये नाम थे-जहांगीर, वासुदेव और दिलीप कुमार-उन्होंने आखिरी नाम चुना. उन्हे ये भी लगा कि अपने इस नाम से वो अपने पिता से अपने अभिनय के काम को छिपा सकेंगे. क्युकी उनके पिता को ये नाटकवाले बिल्कुल पसंद नहीं थे. इस तरह बॉलीवुड सिनेमा को दिलीप कुमार मिले. उसके बाद देविका रानी ने ही उन्हें फिल्म ज्वार भाटा में कास्ट किया. लेकिन ये फिल्म कुछ खास नहीं चली.

दिलीप कुमार ने अपनी एक्टिंग की स्टाइल खुद अपने तरीके से विकसित की, जो एक्शन और स्पीच दोनों का मिलाजुला रूप थीं. उस जमाने में एक्टिंग का मतलब लाउड माना जाता था. लिहाजा दिलीप कुमार ने अपने को इस अंदाज से अलग रखा. फिल्म क्रिटिकस के मुताबिक दिलीप कुमार ने ही सबसे पहले ये दिखाया कि नेचुरल एक्टिंग क्या होती है. जो बाद में बॉलीवुड में आत्मसात की जाने लगी. उनके बाद आने वाला हर एक्टर उनकी अदाकारी को एक चुनौती के रूप में लेता था और इससे सीखता था.

दिलीप कुमार ज्यादा फिल्में नहीं करते थे. उन्होंने अपने पूरे करियर में केवल 63 फिल्में कीं. उनका फिल्मी करियर करीब 60 सालों था . उन्होंने इस दौरान अलग अलग किरदार निभाए और जिस किरदार में गए उसे साकार कर दिया. चाहे वो नये दौर का तांगा चलाने वाला हो या फिर कोहिनूर में सितार बजाकर महफिल लूटने वाला हीरो.या फिर मुगल-ए-आजम का सहज़ादा सलीम, बताया जाता है कि कोहिनूर के लिए उन्होंने बकायदा एक सितार उस्ताद से इसकी बारीकियां सीखीं. और जब वो नया दौर फिल्म मे तांगा वाला बने तो कुछ समय तांगा चलाने वालों के साथ गुजारा. ताकि उनके धंधे और हाव-भाव के बारे में अच्छे से जान सकें. सत्यजीत राय उन्हें अल्टीमेट मेथड एक्टर कहा करते थे.

दिलीप कुमार को बॉलीवूड का ट्रेजडी किंग भी कहा जाता है,अपने करियर मे उन्होंने 08 फिल्मफेयर ट्राफी अपने नाम की. रोमांटिक हीरो के तौर पर उनकी आखिरी फिल्म बैराग थी, जो फ्लॉप हो गई. तब तक वो 54 साल के हो गए थे. तब उन्होंने सोचा कि अब वो लवर बॉय वाली फिल्में नहीं करेंगे.और तब उन्होंने 04 साल के लिए फिल्मों से ब्रेक ले लिया.

1981 में वो वापस फिल्मों में लौटे. ये फिल्म क्रांति थी. उनका रोल बहुत बड़ा नहीं था लेकिन प्रभावित करने वाला था. शक्ति में वो अमिताभ के साथ भी नजर आए.बाद में अपनी कुछ फिल्मों में उन्होंने नासिरुद्दीन साह,राज बब्बर,अनिल कपूरजेसे कई कलाकारों के साथ भी काम किया.उनकी आखरी फिल्म थी क़िला जो कामयाब नहीं हो पाई । दिलीप कुमार की सबसे लंबी जोड़ी मधुबाला के साथ चली. उनकी लव स्टोरी बहुत चर्चित रही. लेकिन दिलीप कुमार ने बाद बालीवुड की हिट एक्ट्रैस सायरा बानो से शादी कर ली.

बाद में वो फिल्मों से करीब अलग ही हो गए और सामाजिक कामों से जुड़ गए. पिछले कुछ सालों से उनकी तबीयत खराब थी. वो इस बीच कई बार अस्पताल में भर्ती कराए गए. उन्होंने लंबी उम्र जी. जीते जी बॉलीवुड के सबसे बड़े लीजेंड भी बने. ये बात सही है कि उनके साथ बॉलीवुड के गोल्डेन एरा का अंत हो गया

दिलीप साहब के जाने से फिल्म इंडस्ट्री के साथ पूरे देश मे शोक की लहर है,फिल्मी दुनिए की हस्तियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक जताया और उनकी पत्नी सायरा बयानों से फोन पर बात करके उनको ढांढस बंधाया।

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