उत्तर प्रदेश से अलग राज्य उत्तराखंड बनने की मांग हो रही थी तो दूसरी और हल्द्वानी में लोग डर के साए में थे । जिसका जिम्मेदार था हल्द्वानी का सबसे बड़े डॉन रमेश बंबइयां यानी रमेश चिलवाल
Haldwani Don Ramesh Bombay: 1980 से 90 के दौर में जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश(uttarpradesh) से अलग राज्य उत्तराखंड(Uttarakhand) बनने की मांग हो रही थी, तो दूसरी और हल्द्वानी में लोग डर के साए में थे क्योंकि आए दिन शहर में दंगे(riots) और हत्याओं(killing) की खबरें सामने आने लगी थी.... और अवैध खनन(Illegal mining)के बढ़ते मामलों ने शहर में कई बदमाशों को जगह दे दी थी, और इन सब मामलों में टॉप वो डॉन था जिसकी आज हम बात करने वाले है...जिनका चेहरा ज्यादातर लोगों ने देखा नहीं, लेकिन उनके जुर्म की कहानी और उसकी दहशत हर किसी ने सुनी थी....और उन्ही में से एक था हल्द्वानी का माफिया(haldwani mafia) जो कोई मामूली डॉन नहीं था...अवैध खनन(illegal mining), शराब(liquor), लीशा(lisa) न जाने कितने अवैध धंधों(illegal trades) में वह लिप्त रहा...फिर जब इन सब के लिए गैंगवॉर शुरू हुई तो वह सबसे बड़ा डॉन बनकर सामने आया...
जी हा हम बात कर रहे हैं कुमाऊं और हल्द्वानी के सबसे बड़े डॉन रमेश बंबइयां(Ramesh Bombay) यानी रमेश चिलवाल की.
हम आपको आज ऐसे बदमाश की कहानी बताने जा रहे हैं जिसका एक समय में हल्द्वानी शहर में बहुत दहशत थी। जिसका नाम था रमेश बंबईया और शराब से लेकर खनन कारोबार में उसका डंका बजा करता था। जिसकी जान लेने के लिए कई बार दूसरे गैंग के लोगों ने कोशिश की थी, लेकिन अपनी चालाकी और किस्मत से हर बार रमेश बंबईया बच जाता.
रानीखेत(Ranikhet) के रहने वाले रमेश चिलवाल उर्फ बंबईया के पिता मुंबई के एक अस्पताल में कर्मचारी थे। रमेश का काफी समय मुंबई में गुजरा, उसकी बोलचाल में मुंबई का असर था। इसके चलते उसके नाम के साथ बंबईया शब्द जुड़ गया। कहा ये भी जाता है कि मुंबई में रहने के दौरान ही रमेश का संपर्क कुछ अराजक लोगों से हुआ, इसके बाद वह अपराध की राह पर चल पड़ा। और जब रमेश बंबईया का मुंबई(mumbai) में मन नही लगा तो बाद में वह हल्द्वानी आया तो शीशमहल(Sheeshmehal) क्षेत्र में रहने लगा। यहां उसने ऑटो चलना शुरू किया लेकिन जब इससे भी उसका मन नहीं लगा तो रमेश बंबईया कि नजर गई गौलानदी में और फिर उसने अवैध खनन का काम शुरू किया.... गरीबी का अभाव देख चुका रमेश बंबईया का जब अवैध खनन का काम अच्छा चलने लगा तो उसने अवैध शराब के कारोबार करना भी शुरू किया और देखते ही देखते बड़े स्तर पर शराब तस्करी(liquor smuggling) में जुट गया। लिहाजा, उसके पास दौलत बरसने लगी।
जी हा कहानी यहा खत्म नहीं हुई जबकि अवैध कामों में जब उसके पास दौलत बरसने लगी तो इस दौरान उस पर कई लोगों की हत्या के आरोप भी लगे और देखते ही देखते रमेश बंबईया हल्द्वानी और कुमाऊ का बड़ा गैंगस्टर(gangster) बन गया और इसके साथ ही रमेश बंबईया दूसरे गैंग के निशाने पर आ गया। उस पर घर से लेकर बेस अस्पताल तक कई बार जानलेवा हमले हुए। लेकिन वह हर बार बच गया।
रमेश बंबईया के साम्राज्य को डहाने के लिए 90 के दशक में एक और माफिया प्रकाश पाण्डे उर्फ PP की हल्द्वानी में एंट्री हुई और इन दोनों की आपसी रंजिश बनी रही। दोनों के बीच कई बार गैंगवार भी हुई। लेकिन बंबईया कभी पीपी से नहीं डरा।
ऐसा कहा जाता है बंबईया धीरे धीरे माफिया बनने लगा था। और खनन के अलावा अन्य लीसा और शराब तस्करी जैसे धंधों में जब रमेश बंबईया अपने हाथ बढ़ा रहा था तो इसी बीच उसके हाथ से खनन के टैंडर जाने लगे और टैंडर मिलने लगे जोशी बंदुओ को... जिसको लेकर रमेश बंबईया की कारोबारी पवन जोशी और उसके भाई विनीत जोशी के साथ लड़ाई हो गई.... दुश्मनी इतनी बड़ गई कि माफिया ने एक दिन खुलेआम पवन और उसके भाई विनीत जोशी कि खुलेआम गोलियों से हत्या कर दी...
हल्द्वानी(haldwani) में हुए इस हत्याकांड ने रमेश बंबईया कि मुश्किले और बढ़ा दी.... इसके बाद पूरे शहर में विरोध-प्रदर्शन(Protest) हुए। लोगों में काफी आक्रोश था। और बाद में इस मामले में वह गिरफ्तार हुआ और उम्रकैद की सजा हुई। करीब आठ साल की सजा के बाद बीमारी से रमेश बंबईया की मौत हो गई।
और इसी के साथ ही कुमाऊं और हल्द्वानी के सबसे बड़े डॉन रमेश बंबइयां कि कहानी खत्म हो गई। आपको बता दे रमेश बंबइयां के बारे में ये तमाम जानकारियां इंटरनेट से ली गई हैं....