Pingali Venkayya Jayanti: एक ध्वज, जिसे हवा में लहराता देख हर भारतीय गर्व महसूस करता है, ये वो ध्वज है जिसे ओढ़ने का सौभाग्य एक वीर शहीद सैनिक को ही मिलता है।
Pingali Venkayya Jayanti: एक ध्वज, जिसे हवा में लहराता देख हर भारतीय गर्व महसूस करता है, ये वो ध्वज है जिसे ओढ़ने का सौभाग्य एक वीर शहीद सैनिक को ही मिलता है। हम बात कर रहे है भारत की पहचान की, हम बात कर रहे है तिरंगे के अभिमान की।
ये हम सब जानते है कि आने वाली 15 अगस्त को हम अपना 76 स्वतंत्रा दिवस मानाने जा रहा है और इन बीते 76 सालो से भारत के तिरंगे में कोई बदलाव नहीं हुआ है। केसरिया ऊपर, हरा निचे और बीच में सफ़ेद रंग के ऊपर अशोक चक्र, ये है भारतीय ध्वज का वो विवरण जिसे हम बीते 76 सालो से फहराते आ रहे है लेकिन 1947 से पहले तिरंगे में एक या दो नहीं बल्कि 5 बार बदलाव किया गया था।
सबसे पहले ध्वज के बारे में बात करे तो पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक,ग्रीन पार्क जो कि कलकत्ता में है वहा फहराया गया था। इस ध्वज में सबसे ऊपर था हरा फिर बीच में पीला और सबसे नीचे लाल रंग था। साथ ही इसमें कमल के फूल और चांद-सूरज भी बना हुआ था।
लेकिन ये ध्वज सिर्फ एक साल ही फहराया गया। साल 1907 में भारत को अपना दूसरा राष्ट्रीय ध्वज मिला। ये ध्वज भारत नहीं बल्कि पेरिस के एक सम्मलेन में मैडम कामा द्वारा फहराया गया था। यह ध्वज पिछले ध्वज जैसा ही था। इस राष्ट्रध्वज में भी चांद सितारे आदि मौजूद थे लेकिन इसमें तीन रंग केसरिया, हरा और पीला शामिल थे।
वही तीसरा ध्वज 1917 में डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान फहराया था। इस झंडे में 5 लाल और 4 हरी पट्टियां थी साथ ही इसमें 7 सितारे भी बने हुए थे। वहीं, झंडे के बांई ओर ऊपरी किनारे पर यूनियन जैक था और एक कोने में सफेद आधा चाँद और सितारा था।
इसके बाद 1921 में आया भारत का चौथा ध्वज। इस ध्वज को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी सत्र के दौरान आंध्र प्रदेश के एक युवक ने बनाया और गांधी जी को दिया। ये ध्वज दो रंगों का बना हुआ था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों यानि कि हिन्दू और मुस्लिम का प्रतीक था लेकिन फिर गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतीक भी होना चाहिए जिसके बाद इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा बनाया गया। ये ध्वज भारत में अगले 10 सालो तक फहराया गया और फिर 1931 के साल में एक बार फिर ध्वज में बदलाव हुआ।
पांचवे राष्ट्रध्वज में भी चरखे का महत्वपूर्ण स्थान रहा। हालांकि रंगों में इस बार कुछ बदलाव हुआ जिसमे केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग शामिल रहे। 1931 इंडियन नेशनल कांग्रेस ने औपचारिक रूप से इस ध्वज को अपनाया था और फिर आजादी के साल तक भारत में यही ध्वज फहराया गया लेकिन फिर आजादी का वो स्वर्णिम साल आया जिसमे ध्वज में एक आखिरी बार बदलाव हुआ। हालांकि ये बदलाव ज्यादा बढ़ा नहीं था। ध्वज में बने चरखे की जगह सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दे दी गई। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इस ध्वज को आजाद भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। स्वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्व बना रहा। और आज तक इसी ध्वज को हम तिरंगे के रूप में फहराते है।
लेकिन आज हम जिस तिरंगे को लहराते है उसका निर्माण किसने किया इसके बारे में जानते भी है। तिरंगे को लहराता देख गर्व की अनुभूति तो सब को होती है लेकिन इसको बनाने के पीछे किसका हाथ है इसके बारे में शायद ही कोई जानता होगा। आइये इस बारे में बात कर लेते है।
तिरंगे का निर्माण करने वाले ख़ास व्यक्ति का नाम है पिंगली वेंकैया। पिंगली वेंकैया जो कि महात्मा गांधी के बहुत बड़े प्रशंसक थे उन्होंने हमे हमारे तिरंगे का निर्माण किया लेकिन उनके लिए ऐसा करना बिलकुल भी आसान नहीं रहा। साल 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन करने के बाद उन्होंने तिरंगे को डिजाइन करने की कल्पना की और फिर 1947 में जाकर उनकी कल्पना असलियत में तब्दील हुई।
2 अगस्त 1876 को जन्मे पिंगली वेंकैया आंध्र प्रदेश के मछलीपत्तनम के पास एक गांव में रहते थे जहा 19 साल की उम्र में ही वेंकैया ब्रिटिश आर्मी की सेना में नायक बन गए। सेना में रहते हुए उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में एंग्लो-बोअर युद्ध में भी भाग लिया जिस दौरान उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई और इस मुलाकात ने उनका जीवन बदल दिया। और सीओ स्वदेश वापस आ गए जिसके बाद उन्होंने ब्रिटिशों की गुलामी के खिलाफ आवाज उठाते हुए स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया। और जब उन्होंने तिरंगे का निर्माण किया तो पिंगली वेंकैया की उम्र 45 साल थी। उनके बनाए हुए ध्वज को भारतीय ध्वज के तौर पर मान्यता मिलने में करीब 45 साल लग गए लेकिन उनका इंतजार बेकार नहीं गया और हमे इतना सुन्दर और साफ़ सन्देश देता हुआ तिरंगा मिला और आज तक वेंकैया के बनाए हुए ध्वज को फहराया जाता है।
पिंगली वेंकैया की मृत्यु 4 जुलाई 1963 को हुई थी और उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिए मरणोपरांत 2009 में एक डाक टिकट से सम्मानित किया गया था साथ ही 2014 में उनका नाम भारत रत्न के लिए भी प्रस्तावित किया गया। 2016 में तत्कालीन शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन विजयवाड़ा का नाम पिंगली वेंकय्या के नाम पर रख दिया और इसके परिसर में उनकी प्रतिमा का भी उद्धघाटन किया। और आज हम पिंगली वेंकैया की जयंती के दिन स्वतंत्रता के लिए उनके योगदान को याद करते है साथ ही उनके द्वारा दी हमे दिए गए राष्ट्रीय ध्वज के लिए उनका धन्यवाद करते है।
हम उम्मीद करते है कि तिरंगे और इसके निर्माण के पीछे के शख्स की कहानी आपको पसंद आई होगी।