कलयुग में सिद्ध पाठ हनुमान चालीसा , हम आपको बातायेंगे हर रोज़ हनुमान चालीसा का पाठ करने के क्या क्या फायदे है
कलयुग में सिद्ध पाठ हनुमान चालीसा
जय हनुमान ज्ञानगुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर....हनुमान चालिसा!! आखिर क्यों पढ़ी जाती है हनुमान चालिसा और क्या है इसका महत्व?? आईए, आज हम आपको बाताएंगे कि हर रोज़ हनुमान चालीसा का पाठ करने के क्या फायदे है और कोशिश करेंगे कि इसे पढ़कर आपको हनुमान चालीसा का महत्व समझ आए और इसकी शक्ति का क्या प्रभाव है आपको पता चले.
हनुमान जी भी भगवान शिव का ही अंश है। कहा जाता है कि पवन देव भगवान शिव के अंश को माता अंजना ( हनुमान जी के माता ) के गर्व में छोर कर आए थे। जिससे हनुमान जी का जन्म हुआ। इस कारण हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहा जाता है।हनुमान चालीसा का निर्माण कवि तुलसीदास द्वारा किया गया था। इसमें हनुमान जी की महिमा और उनकी शक्ति और उनकी राम के प्रति भक्ति का वर्णन किया गया है. हनुमान चालीसा का पाठ किसी भी उम्र के व्यक्ति कर सकते है। मान्यता है कि श्री राम के द्वारा हनुमान जी को आशीर्वाद मिला था कि वो युगों -युगों तक इसी धरती पर वास करेंगे और धरती पर हो रहे लोगों के साथ पाप और दुख का अंत करेंगे और जहां-जहां भगवान राम का पाठ होगा और आदिशक्ति माँ अम्बे की आराधना होगी वहाँ हनुमान जी रक्षा के लिए सदैव विरजमान रहेंगे | हनुमान चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने पर यह आपको जीवन में सही रास्ता दिखाएगा और आपको बुरी नज़र से दूर रखेगा।
हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए, पहले प्रातः नहाने के बाद सभी हनुमान चालीसा का पाठ कर के हनुमान जी को प्रसन्न करते है,जिससे उनका आशीर्वाद आप पर और आपके परिवार पर बना रहता है।
*सुबह हनुमान चालीसा का पाठ करने से आपका पूरा दिन अच्छा गुज़रता है,आपके मन और दिमाग को शांति मिलती है और तनाव ख़त्म हो जाता है।
* घर में कोई बुरी नज़र या बुरे साए का वास है, तो हनुमान चालीसा का पाठ करने पर ये सब बुरी शक्ति ख़त्म हो जाती हैं और व्यक्ति के मन में डर हो या मनोबल कम हो, उन्हें हनुमान चालीसा का पाठ ज़रुर करना चाहिए। इससे उसका डर ख़त्म हो जाता है और मनोबल बढ़ जाता है।
* हनुमान चालीसा का पाठ करने पर आप नामुमकिन काम को भी मुमकिन बना सकते है,और आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
* हनुमान चालीसा में भी लिखा हैं की जो जो हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसे बल ,बुद्धि ,विद्या मिलती है और सारे कलेश ,विकार, रोग, दुख दूर होते है |
तो आइए हमारे साथ आप सब भी हनुमान चालीसा का पाठ करिए और सभी दुखों को हनुमान जी के चरणों में रख के अपनी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करिए|
|| दोहा ||
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि|
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि||
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार||
हनुमान चालीसा :- जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ,जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ||
राम दूत अतुलित बलि धामा , अंजनी-पुत्र पवनसुत नामा ||
महावीर विक्रम बजरंगी| कुमति निवार सुमति के संगी ||
कंचन बरन बिराज सुबेसा | कानन कुंडल कुंचित केसा ||
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै | कांधे मूंज जनेऊ साजै ||
शंकर सुवन केसरीनंदन | तेज प्रताप महा जग बन्दन ||
विद्यावान गुनी अति चातुर | राम काज करिबे को आतुर ||
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया | राम लखन सीता मन बसिया ||
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा | विकट रूप धरि लंक जरावा ||
भीम रूप धरि असुर संहारे | रामचंद्र के काज संवारे ||
लाय सजीवन लखन जियाए | श्रीरघुबीर हरषि उर लाए ||
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई | तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||
सहस बदन तुम्हरो यश गावै | अस कहि श्रीपति कंठ लगावै ||
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा | नारद सारद सहित अहींसा ||
जम कुबेर दिगपाल जहां ते | कबि कोबिद कहि सके कहां ते ||
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा | राम मिलाय राज पद दीन्हा ||
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना | लंकेस्वर भए सब जग जाना ||
जुग सहस्र जोजन पर भानू | लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं | जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ||
दुर्गम काज जगत के जेते | सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||
राम दुआरे तुम रखवारे | होत न आज्ञा बिनु पैसारे ||
सब सुख लहै तुम्हारी सरना | तुम रक्षक काहू को डर ना ||
आपन तेज सम्हारो आपै | तीनों लोक हांक तें कांपै ||
भूत पिसाच निकट नहिं आवै | महाबीर जब नाम सुनावै ||
नासै रोग हरै सब पीरा | जपत निरंतर हनुमत बीरा ||
संकट तें हनुमान छुड़ावै | मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ||
सब पर राम तपस्वी राजा | तिन के काज सकल तुम साजा ||
और मनोरथ जो कोई लावै | सोइ अमित जीवन फल पावै ||
चारों जुग परताप तुम्हारा | है प्रसिद्ध जगत उजियारा ||
साधु-संत के तुम रखवारे |असुर निकंदन राम दुलारे ||
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता | अस बर दीन जानकी माता ||
राम रसायन तुम्हरे पासा | सदा रहो रघुपति के दासा ||
तुम्हरे भजन राम को पावै | जनम-जनम के दुख बिसरावै ||
अंतकाल रघुबर पुर जाई | जहां जन्म हरि-भक्त कहाई ||
और देवता चित्त न धरई | हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ||
संकट कटै मिटै सब पीरा | जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||
जय जय जय हनुमान गोसाईं | कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ||
जो सत बार पाठ कर कोई | छूटहि बंदि महा सुख होई ||
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा | होय सिद्धि साखी गौरीसा ||
तुलसीदास सदा हरि चेरा | कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ||
|| दोहा ||
पवन तनय संकट हरन | मंगल मूरति रूप ||
राम लखन सीता सहित | ह्रदय बसहु सुर भूप ||
सिया वर रामचंद्र की जय | पवन सुत हनुमान की जय ||