कांग्रेस भी सत्ता में वापसी के लिए हर संभव प्रयास की जुगत में हैं. ऐसे में खबर आती है हरीश रावत महत्वपूर्ण पद से इस्तीफा सौंपने जा रहे. उनके बयान से एक बार फिर सियासत गर्म होने लगी.
जेजेन न्यूज़. उत्तराखंड में चुनाव अगले साल है, लेकिन सरगर्मियां अभी से तेज हो गई हैं. राजनीतिक पार्टियां पूरे दम खम लगा थी है, वहीं कांग्रेस भी सत्ता में वापसी के लिए हर संभव प्रयास की जुगत में हैं. ऐसे में खबर आती है हरीश रावत महत्वपूर्ण पद से इस्तीफा सौंपने जा रहे. उनके बयान से एक बार फिर सियासत गर्म होने लगी.
हरीश रावत वर्तमान में पंजाब के प्रभारी है साथ ही कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. अगले साल 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. और पांच राज्यों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड,उत्तर प्रदेश, मणिपुर और गोवा शामिल है। उत्तराखंड चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष हरीश रावत को बनाया हरीश रावत पंजाब के प्रभारी भी हैं, इस वजह से हरीश रावत इन दिनों ज्यादा व्यस्त हैं। पंजाब के कारण उत्तराखंड की उनकी राजनीति पर भी सीधा असर पड़ रहा है.
अमर उजाला में छपी खबर के अनुसार हरीश रावत जल्द ही पंजाब प्रदेश प्रभारी के प्रभार से मुक्त होना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने कोविड-19 इफेक्ट को कारण बताया है। उन्होंने कहा जब से वह कोरोना से ठीक हुए हैं, स्वास्थ संबंधी दिक्कतें लगातार आ रही है, इसलिए अब थोड़ा आराम चाहते हैं.
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जहां पंजाब का राजनीतिक घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है, वहीं उत्तराखंड में भी कांग्रेस की आपसी खींचतान हरीश रावत की चिंता बढ़ाये हुए हैं. अब ऐसे मैं हरीश रावत चाहते हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव में सक्रियता बढ़ा कर पूरा ध्यान उत्तराखंड पर केंद्रित किया जा सके, जिससे आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बन पाए.
आपको बता दें इससे पहले हरीश रावत आसाम के प्रभारी थे. और तब इस उन्होंने बताया कि वह हर जिले और तहसील तक घूमे थे. और उसके बाद पंजाब के प्रभारी बने, जहां उन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रहे राजनीतिक विवाद को भी सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है.
उन्होंने कहा उत्तराखंड में कांग्रेस को मजबूत करना है. इसके लिए वह पंजाब के प्रभारी पद से मुक्त होना चाहते हैं, और इस संबंध में वह पार्टी हाईकमान से बात करने वाले थे, लेकिन इस बीच पंजाब का मसला आ गया. अब देखना होगा पार्टी हाईकमान उनके इस फैसले को स्वीकार करता है या नहीं?