रिद्वार में कोरोना की नेगेटिव फर्जी रिपोर्ट घोटाले में अब सियासी रंग चढ़ने लगा है, इस सियासी संग्राम में वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आमने सामने नजर आ रहे हैं, और दोनों ही इस घोटाले को एक दूसरे के कार्यकाल का बता रहे हैं, घोटाले की गेंद को एक दूसरे के पाले में डालने से सियासी बहस को भी हवा मिल गई है.
देहरादून. हरिद्वार में कोरोना की नेगेटिव फर्जी रिपोर्ट घोटाले में अब सियासी रंग चढ़ने लगा है, इस सियासी संग्राम में वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आमने सामने नजर आ रहे हैं, और दोनों ही इस घोटाले को एक दूसरे के कार्यकाल का बता रहे हैं, घोटाले की गेंद को एक दूसरे के पाले में डालने से सियासी बहस को भी हवा मिल गई है.
इस घोटाले के सामने आने के बाद बीजेपी में भी सियासत तेज हो गई है, तो वहीं कांग्रेस ने भी प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा है, बहरहाल यह घोटाला किसी के भी कार्यकाल का हो, लेकिन इससे घटनाक्रम के बाद प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है, और दो सीएम के आमने सामने आने से सियासी गलियारे में खूब चर्चा हो रही है।
हरिद्वार के कुंभ मेले का फर्जीवाड़ा यानी की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट फेक रिपोर्ट का सच जबसे सामने आया है, तब से ही कोविच जांच फर्जीवाड़े को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के बयान एक अलग अलग नज़र आ रहे है.
एक तरफ वर्तमान मुख्यमंत्री का कहना है कि, ये मामला उनके सीएम बनने से पहले का है. तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री का बयान भी मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के खिलाफ ही नज़र आ रहा है।
इस मामले में सीएम तीरथ सिंह रावत का कहना है कि ये मामला उनके सीएम बनने से पहले का है...उन्होंने कहा.. मैं मार्च में आया हूं। जब मैंने इसकी छानबीन की...मैं दिल्ली में था। मैंने दिल्ली से आते ही मामले की जांच बैठाई है और मैं चाहता हूं कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी... तो वहीं सीएम के इस बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि जांच में पता चल जाएगा कि मामला किसके समय का है। उन्होंने कहा कि ये एक तरह से हत्या प्रयास का मामला है।
पूर्व सीएम ने मुख्यमंत्री से इस मामले की सच्चाई से जाँच करने का अनुरोध किया है.. उन्होंने कहा कि जनता के सामने इस बात का खुलासा होना चाहिए, कि ये फर्जीवाड़े का मामला किस दौरान यानी किस समय का है...ऐसे लाखो नेगेटिव टेस्ट कब हुए..
पूर्व सीएम यही नहीं रुके,, उन्होंने आगे कहा कि मुझे ऐसा ध्यान है कि, कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे। इसमें टेंडर हमारे समय में नहीं हुआ। यदि टेंडर हुआ होगा, तो मेला प्रबंधन के द्वारा हुआ होगा। नोटिफिकेशन हमारे समय में हुआ था, जो एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक का था।
इस घोटाले में अब प्रदेश कांग्रेस भी कूद गई है, कोविड जांच फर्जीवाड़े में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों पर कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी ने कहा कि दोनों नेताओं के बयान से प्रदेश सरकार कठघरे में खड़ी हो गई है। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में बड़े लोगों के लिप्त होने की पूरी आशंका है.