जिनके घर कांच के होते हैं वह दूसरों के घर पत्थर नहीं फेंकते हैं, यह डायलॉग अक्सर हम फिल्मों में सुनते आये हैं, लेकिन इस बार यह डायलॉग उत्तराखंड की राजनीति में सुनने को मिल रहा है.
जेजेएन. जिनके घर कांच के होते हैं वह दूसरों के घर पत्थर नहीं फेंकते हैं, यह डायलॉग अक्सर हम फिल्मों में सुनते आये हैं, लेकिन इस बार यह डायलॉग उत्तराखंड की राजनीति में सुनने को मिल रहा है. और ये जवाब दिया है कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को, पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान कैबिनेट मंत्री में इन दिनों जुबानी जंग देखने को मिल रही है. दोनों एक दूसरे पर वह पलटवार कर रहे हैं, आखिर क्या है पूरा मामला आइये आपको बताते हैं.
Uttarakhand के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरक सिंह रावत के बीच इन दिनों जुबानी जंग छिड़ गई है। त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान के बाद कैबिनेट मंत्री हरक सिंह पर तंज कसा है। जिसके बाद सियासी गलियारों में हलचल मच गई है।
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने पूर्व CM त्रिवेंद्र सिंह रावत के संदर्भ में एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने ढैंचा बीज घोटाले का ज़िक्र किया, जिसमें त्रिवेंद्र रावत पर मुकदमा हो सकता था, हरक सिंह ने कहा कि हरीश रावत उन पर मुकदमा करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने त्रिवेंद्र रावत का पक्ष लिया था, अगर TSR के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो जाता, तो राज्य में राजनीतिक बदले की गलत परंपरा शुरू हो जाती.
उनके इस बयान के बाद सूबे की सियासत में उबाल ही आ गया, और फिर त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान ने और भी खलबली मचा दी.. बुधवार को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरक सिंह के बयान का पलटवार करते हुए तल्ख टिप्पणी कर दी, उन्होंने कहा गधा जो होता है ढैंचा ढेंचा करता है,, साथ ही कहा कि हरक सिंह रावत का चरित्र बहुत उज्जवल रहा है, चाहे आर्थिक हो, नैतिक हो, सारी दुनिया जानती है.
त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानी हमले के बाद हरक सिंह रावत आहत नजर आए, और शुक्रवार को मीडिया से रुबरू हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत उनसे उम्र में बड़े हैं, लेकिन इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया जाना उचित नहीं है, उन्होंने कहा जिनके घर कांच के होते हैं उन्हें दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए।
बयानों के पलटवार से सियासी हलचल तो पैदा ही हुई ही, साथ ही बीजेपी में उत्पन्न हो रही गुटबाजी भी सामने आने लगी है. कांग्रेस दल से जाने वाले विधायकों और भाजपा नेताओं के बीच सब कुछ बेहतर नहीं है, यह बयानों के तंज से पता चल रहा है. वहीं रायपुर विधानसभा सीट से विधायक उमेश शर्मा काउ और भाजपा नेताओं के रिश्ते भी बेहतर नहीं चल रहे है. यदि यही स्थिति रही तो आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के भीतर किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम का होना किसी तरह के आश्चर्य की बात नहीं होगी.