नए राज्यपाल की नियुक्ति को सियासी नजरिए से भी देखा जा रहा है. इस फेरबदल को बेजेपी का सियासी दांव भी कहा जा रहा है
जेजेएन. उत्तराखंड में अगल साल विधानसभा चुनाव है, लेकिन उससे पहले ही पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने इस्तीफा दे दिया. और उनकी जगह नए राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह नियुक्त किये गए। नए राज्यपाल की नियुक्ति को सियासी नजरिए से भी देखा जा रहा है. इस फेरबदल को बेजेपी का सियासी दांव भी कहा जा रहा है, इन सभी नजर डालेंगे इससे पहले नए राज्यपाल गुरमीत सिंह कौन है, आइए ये जान लेते हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह उत्तराखंड के आठवें राज्यपाल बने हैं, जिनकी स्कूलिंग पंजाब के सैनिक स्कूल कपूरथला से हुई.
जिसके बाद नेशनल डिफेंस कालेज और डिफेंस सर्विसेज स्टाफ से ग्रेजुएशन किया। चेन्नई और इंदौर विश्वविद्यालयों से दो एम फिल डिग्री हासिल की. और हाल में चेन्नई विश्वविद्यालय से 'स्मार्ट पावर फार नेशनल सिक्योरिटी डायनेमिक्स' विषय पर पीएचडी कर रहे हैं. ये रही उनकी शिक्षा दीक्षा।
चलिए अब आते हैं उनके आर्मी सफर पर, जनरल गुरमीत सिंह ने सेना में करीब 40 साल तक सेवा की है. इस दौरान उन्हें चार राष्ट्रपति पुरस्कार और दो चीफ आफ आर्मी स्टाफ कमंडेशन अवार्ड भी मिले हैं. सेना के दौरान वो डिप्टी चीफ आफ आर्मी स्टाफ रहे हैं, एडजुटेंट जनरल और 15 कार्प्स के कमांडर साथ ही चीन मामलों से जुड़े मिलिट्री आपरेशन के निदेशक की ज़िम्मेदारी भी संभाली है. साल 2016 में सेना से रिटायर हुए.
सेना के रिटायर्ड जनरल को गवर्नर बनाने के पीछे क्या सियासी दांवपेच है, आइए अब इस नजर डालते हैं.
उत्तराखंड चार धाम के लिए तो जाना ही जाता है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड को सैन्य धाम की संज्ञा थी. ऐसा इसलिए क्योंकि तकरीबन ढाई लाख पूर्व सैनिक और वीर नारियां प्रदेश में रहती है. इस लिहाज से उत्तराखंड के अक्सर परिवार से एक सदस्य सेना में है. सैन्य परिवारों से ताल्लुक रखने वाले मतदाताओं की तादाद कुल मतदाताओं का तकरीबन 12 फीसद है। इसलिए सभी सियासी पार्टियां इन परिवारों को लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ती है।
लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह सेना में उच्च पदों पर रहे हैं। और चीन से जुड़े मामलों में भी उन्होंने बड़ी जिम्मेदारी को निभाया है. इस दौरान वह चीन से जुड़े सामरिक मामलों को भी देख चुके हैं। केंद्र ने सिख समाज से आने वाले जनरल गुरमीत को राज्यपाल बनाया है. जिससे सेना के परिवारों के साथ-साथ अल्पसंख्यक समाज के सिख समुदाय के मतदाताओं को भी लुभाया जा सके.
आपको बता दें तराई क्षेत्र में सिख समाज अक्सरियत में है. साथ ही इन दिनों तराई के इलाकों में कृषि कानून के खिलाफ लोगों में गुस्सा दिखाई दे रहा है. इसी को देखते हुए केंद्र का इसे मास्टर स्टॉक कहा जा रहा है.
वहीं आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री चेहरा कर्नल अजय कोठियाल को घोषित किया है. जिससे वह प्रदेश के 12 फीसदी मतदाताओं को सीधा प्रभावित कर सकते थे. अब ऐसे में रिटायर्ड जनरल को उत्तराखंड का राज्यपाल नियुक्त करना केंद्र का नया दांव बताया जा रहा है.