नैनीताल विधानसभा इस बार रोचक होने जा रही है. क्योंकि इस बार दोनों राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशी जो आमने-सामने होंगे, वह इससे पहले भी आमने सामने आ चुके हैं.
नैनीताल विधानसभा इस बार रोचक होने जा रही है. क्योंकि इस बार दोनों राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशी जो आमने-सामने होंगे, वह इससे पहले भी आमने सामने आ चुके हैं. राजनीति में सब कुछ संभव है और यह बात आज नैनीताल विधानसभा सीट पर देखने को मिल रही है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सरिता आर्य कांग्रेस से मैदान में थी तो वहीं भाजपा से संजीव आर्य ने ताल ठोंकी थी. मोदी लहर में संजीव आर्य ने सरिता आर्य को 7000 वोटों से हराया था. लेकिन इस बार चुनावी समीकरण बदले हुए हैं. संजीव आर्य ने कांग्रेस में घर वापसी कर ली है. और टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. वहीं सरिता आर्या जो अब तक कांग्रेस में थी और टिकट न मिलने की आशंका के चलते भाजपा में शामिल हो गई है. कहा जा रहा है कि सरिता आर्य टिकट मिलने की शर्ट पर ही भाजपा में शामिल हुई है.
कुछ महीने पहले यशपाल आर्य और उनके पुत्र संजीव आर्य कांग्रेस में शामिल हुए थे. उसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि नैनीताल सीट से कांग्रेस उन्हें टिकट मिल सकता है. तभी से सरिता आर्य ने बगावती सुर दिखाना शुरू कर दिए थे. और आज उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया है.
सरिता आर्य के भाजपा में जाने के बाद नैनीताल भाजपा में बगावत होने के आसार नजर आ रहे हैं. क्योंकि कुछ समय पहले हेम आर्य भाजपा का दामन थाम चुके हैं. हेम आर्य ने साल 2012 में भाजपा के टिकट से विधानसभा चुनाव में मैदान में आए थे. इस साल सरिता आर्या ने उन्हें 5000 वोटों से हराया था. इसके बाद 2017 में उन्हें भाजपा से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने निर्दलीय दावेदारी की थी. और हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद 2018 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था.
हेम आर्या और सरिता आर्या भाजपा में ही है. और ऐसे में दोनों पार्टी से टिकट के लिए पुरजोर आजमाइश करेंगे। साथ ही मोहन पाल जो अब तक संभावित प्रत्याशी की दौड़ में आगे चल रहे थे. उन्हें भी टिकट के लिए मेहनत करनी पड़ सकती है. फिलहाल किसे टिकट मिलता है, यह जल्द ही साफ हो जाएगा। और नैनीताल सीट पर किसका परचम लहराएगा, यह 10 मार्च को पता चलेगा। लेकिन प्रत्याशियों का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता जा रहा है.