उत्तराखंड में परिवारवाद सबको प्यारा, इन नेताओं के पुत्र-पुत्री को मिला टिकट

हर चुनाव में परिवारवाद एक बड़ा मुद्दा बन कर सामने आता है. चाहे कांग्रेस हो या भाजपा दोनों पर ही परिवारवाद की छाप साफ नजर आ रही है. दोनों ही दलों के प्रत्याशियों ने परिवारवाद को प्राथमिकता दी है.

उत्तराखंड में परिवारवाद सबको प्यारा, इन नेताओं के पुत्र-पुत्री को मिला टिकट
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विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों शोरों पर हैं. चुनावी संग्राम का बिगुल फूंक चुका है. हर चुनाव में परिवारवाद एक बड़ा मुद्दा बन कर सामने आता है. और इस साल भी परिवारवाद पार्टियों पर भारी पड़ा है. चाहे कांग्रेस हो या भाजपा दोनों पर ही परिवारवाद की छाप साफ नजर आ रही है. दोनों ही दलों के प्रत्याशियों ने परिवारवाद को प्राथमिकता दी है. जिसके चलते पार्टियों को विरोध का सामना भी करना पड़ा है. जिससे कई पुराने कार्यकर्ता पार्टी से नाराज भी हुए हैं. गढ़वाल हो या कुमाऊं दोनों ही मंडलों में पार्टियां परिवारवाद की छाया से दूर नहीं हुए हैं. 

जहां बात करें गढ़वाल मंडल की तो भाजपा ने देहरादून की कैंट विधानसभा सीट पर सविता कपूर को उम्मीदवार बनाया है. सविता कपूर कैंट विधानसभा सीट से विधायक रहे स्वर्गीय हरबंस कपूर की पत्नी है. इस सीट से लगातार 8 बार विधायक रहे हैं।

हरक सिंह रावत के कांग्रेस में आने के बाद हरक सिंह रावत को तो पार्टी ने कहीं से टिकट नही दिया, लेकिन उनकी पुत्र वधु अनुकृति गुसाई को पार्टी ने लैंसडाउन मैदान में उतारा है। तो वहीं भाजपा ने पांच बार के लैंसडाउन से विधायक रहे भारत सिंह रावत के बेटे को टिकट दिया है, जो परिवारवारवाद जीता जागता उदाहरण है।

परिवारवाद में दोनों राजनैतिक पार्टियां एक-दूसरे से कम नज़र नहीं आई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को कांग्रेस में हरिद्वार ग्रामीण सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। आपको बता दें इस सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत को हार मिली थी। अब इस सीट पर उनकी बेटी को उतारा है। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी को भाजपा ने कोटद्वार से उम्मीदवार बनाया है, यहां से 2012 के विधानसभा चुनाव में बीसी खंडूरी हार गए थे।

कुमाऊं मंडल में भी राजनितिक पार्टियों में परिवारवाद साफ दिखाई दिया है। यशपाल आर्य भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए है. उन्हें कांग्रेस ने बाजपुर से टिकट दिया, तो वहीं उनके बेटे संजीव आर्य को नैनीताल से टिकट दिया है. आपको बता दें साल 2017 में पिता और पुत्र दोनों ने भाजपा के टिकट से चुनाव जीता था.

कांग्रेस ने नैनीताल जिले की हल्द्वानी सीट पर भी परिवारवाद साफ़ नज़र आया है. हल्द्वानी दिवंगत नेता इंदिरा हृदयेश की परंपरागत सीट थी। इस सीट पर उनके बेटे सुमित हृदयेश को मौका दिया गया है। 

वहीं बात करें सितारगंज विधानसभा सीट की तो पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ शुक्ला को टिकट दिया गया है. 2017 में सौरभ बहुगुणा ने सीट से बीजेपी को जीत दिलवाई थी.

काशीपुर विधानसभा सीट पर नजर डालें तो यहां भी परिवारवाद की छाप साफ नजर आई है, बीजेपी ने अपने वर्तमान विधायक हरभजन सिंह चीमा का टिकट काट दिया। लेकिन उनकी जगह उनके बेटे त्रिलोक चीमा को टिकट दिया है।

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