आज भी पहाड़ के गांव मूलभूत सुविधाओं से दूर है साथ ही प्रशासन और सरकार का ढीले रवैया के कारण गांव वाले ना चाहते हुए भी गांव से पलायन करने के लिए मजबूर हो गए हैं।
उत्तराखंड राज्य को बने 21 साल हो चुके है पर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र का विकास आज भी सिर्फ जुबानी ही रह गया है 21 साल में प्रदेश में कई सरकारें आयी और गयी, पर सभी ने पर्वतीय क्षेत्र की उपेक्षा ही की है। जिस कारण पर्वतीय क्षेत्र के लोग पलायन करने को मजबूर हो गए।
चलिए आज आपको रूबरू करवाते हैं अल्मोड़ा जिलामुख्यालय के बेहद नजदीक भैंसियाछाना विकासखंड के एक ऐसे गाँव पव्या जहां स्वास्थ्य और सड़क के अभाव के चलते आज भी लोंगो को 6 किलोमीटर दूर तक डोली में बैठाकर मरीज़ों को सडक़ तक लाना पड़ता है।
पव्या गाँव के लीलाधर जोशी जो कई वर्षों से इसी गांव में रह रहें है उनका कहना है कि उनके गांव में जब कोई बीमार हो जाता है तो 5 - 6 किलोमीटर पहाड़ी रास्ते से डोली और खच्चरों की मदद से मरीजो को ले जाना पड़ता है जिससे लोगो को बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है साथ ही दुर्घटना का डर भी हमेशा बना रहता है।इस बारे में सरकार और जिलाप्रशासन को कई बताया गया लेकिन हर बार सड़क को लेकर सिर्फ आस्वाशन मात्र ही दिया गया पर आज तक सड़क नहीं बन पाई है।
गाँव के बुजर्ग मोहन जोशी ने बताया कि आज पूरे प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने की बात सरकार द्वारा की जाती है पर उनका गाँव आज सभी मुलभूत जरुरतों से वंचित हैं।इस बारे में जिलाधिकारी को लिखित रुप से कई बार अवगत कराया गया और तो और कांग्रेस और भाजपा के क्षेत्रीय प्रतिनिधि , विधायक और सांसद को भी इसके बारे में अनेक बार बताया गया पर उन्होंने भी आश्वासन ही दिया।यहां तक की प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी इसके बारे में कई बार पात्र लिखा फिर भी आज तक उनकी कोई सुनवाई नही हुई।
वही इस मामले को लेकर कांग्रेस के नेता बिट्टू कर्नाटक का कहना है कि राज्य बनने के 21 साल बाद भी पव्या गांव आज भी सड़क से नहीं जुड़ पाया है। आज भी गांव में सड़क ना होने से पहाड़ी मार्गो से पैदल आवागमन विशेष तौर पर मरीजों के लिए प्राण घातक साबित होता है।
गौरतलब है कि आज भी पहाड़ के गांव मूलभूत सुविधाओं से दूर है साथ ही प्रशासन और सरकार का ढीले रवैया के कारण गांव वाले ना चाहते हुए भी गांव से पलायन करने के लिए मजबूर हो गए हैं। जहां गांव में रोड की 21 साल बाद भी नहीं आने से आक्रोश व्याप्त है तो ग्रामीणों ने सरकार और जिला प्रशासन को आने वाले समय में आंदोलन की चेतावनी दी है, वहीं राजनीतिक दलों के लोग भी अब आंदोलन करने की बात कह रहे हैं।