सीएम धामी और तीरथ ने बदले TSR के पांच बड़े फैसले, विधानसभा चुनाव को देखते हुए लिया फैसला

cm धामी ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के बनाए देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया. पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत का पहला फैसला नहीं है, जिसको पलटा गया है,अब तक त्रिवेंद्र सरकार के 5 बड़े फैसले को पलटा गया है.

सीएम धामी और तीरथ ने बदले TSR के पांच बड़े फैसले, विधानसभा चुनाव को देखते हुए लिया फैसला
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मुख्यमंत्री धामी ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बनाए देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया. इसका पार्टी सहित विपक्ष ने भी स्वागत किया. और तीर्थ पुरोहितों को इस फैसले से राहत मिली. जहां पार्टी ने इस मामले में अपने तर्क दिए. तो वहीं राजनीति विशेषज्ञ ने कहा कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस फैसले को लिया गया है. हालांकि यह पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का पहला फैसला नहीं है, जिसको पलटा गया है. अब तक त्रिवेंद्र सरकार के 5 बड़े फैसले को पलटा गया है. 

साल 2017 में विधानसभा चुनाव हुए जिसमें भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला. और त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया. कार्यकाल के दौरान उनका स्वभाव थोड़ा सख्त रहा. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कुछ कड़े फैसले भी लिए, जिसे वह सुधारात्मक फैसले की संज्ञा देते रहे.

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को 4 साल के कार्यकाल के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया. और पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत को 10 मार्च को उत्तराखंड का नया सीएम बनाया. तीरथ सिंह रावत का 3 महीने का कार्यकाल रहा, उसके बाद एक बार फिर उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदलने की प्रक्रिया शुरू हुई, और चार जुलाई को पुष्कर सिंह धामी के रूप में नया मुख्यमंत्री प्रदेश को मिला.

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कार्यकाल के दौरान 5 बड़े फैसले लिए थे. जिनमें देवस्थानम बोर्ड का गठन करना, गैरसैंण को नई कमिश्नरी बनाना, कोरोना काल के दौरान नियमों का पालन न करने वाले पर मुकदमे करना, जिला विकास प्राधिकरण का गठन करना और एमबीबीएस की पढ़ाई करने वालों पर बांड फीस बढ़ाना थे.

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया है. यह फैसला उन्होंने तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी को देखते हुए लिया है. इस फैसले के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि उनको इस बात का एहसास था कि उनके जाने के बाद इस बोर्ड को खत्म किया जा सकता है. उनकी मंशा थी कि देवस्थानम बोर्ड बनने के बाद तीर्थ यात्रियों को बेहतर सुविधा मिल सके. श्राइन बोर्ड की तर्ज पर उन्होंने दवस्थानम बोर्ड का गठन किया था. जिसमें करीब 52 मंदिर शामिल थे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एमबीबीएस के छात्रों की बढ़ी हुई फीस को भी कम किया था. जो बांड की व्यवस्था पहले थी उसी को बहाल कर दिया था.

मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से पहले पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने जब उत्तराखंड की कमान संभाली थी, तो उन्होंने त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा बनाई गई गैरसैण कमिश्नरी के फैसले को रद्द कर दिया था। इसके साथ ही उन्होंने कोरोना काल के दौरान नियम तोड़ने वाले लोगों पर मुकदमे वापस लेने का फैसला लिया था.

इसके साथ ही पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिला विकास प्राधिकरण का गठन किया था. जिससे जिले में होने वाले विकास कार्य पर प्राधिकरण की मंजूरी लेना जरूरी थी. लेकिन उनके इस फैसले को भी तीरथ सिंह की कैबिनेट ने बदल दिया था.

राजनितिक विशेषज्ञों का कहना है की ये सभी फैसले विधानसभा चुनाव के देखते हुए लिए गए हैं. अब देखते हैं चुनावी साल में वापस लिए गए फैसलों से पार्टी की छवि पर क्या असर पड़ता है. और पार्टी के इन फैसलों का आगामी चुनाव में क्या असर रहेगा ये तो वक्त ही बताएगा.

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