देश के बड़े महानगरों की राह पर अग्रसर दून अपनी मूल पहचान खोता जा रहा है। कभी हरियाली के लिए मशहूर दून की आबोहवा में साल-दर साल जहर घुल रहा है।
देश के बड़े महानगरों की राह पर अग्रसर दून (Dehradun) अपनी मूल पहचान खोता जा रहा है। कभी हरियाली के लिए मशहूर दून की आबोहवा में साल-दर साल जहर घुल रहा है। बढ़ती आबादी के साथ अंधाधुंध निर्माण और वाहन की रेलमपेल ने प्रदूषण (Pollution) का स्तर काफी बढ़ा दिया है।
इसके अलावा उद्योगों का विस्तार पर्यावरणीय चुनौती बढ़ा रहे हैं। दून का मूल स्वरूप लौटाने के लिए राजनीतिक दल भी जिम्मेदार हैं। शहर की सरकार यानी कि नगर निगम (Municipal council) में बोर्ड बनाने वाली राजनीतिक दल को दून हवा की सेहत सुधारने का अनियंत्रित विकास के साथ ही दून में हरियाली भी घट रही है। ऐसे में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। विभिन्न स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषक कण पदार्थ अब ज्यादा समय तक हवा में तैरते रहते हैं।