2012 के अजय बरसाती मौत मामले में सीबीआई मजिस्ट्रेट कोर्ट के पुलिसकर्मियों पर मुकदमा चलाने के आदेश को स्पेशल सीबीआई जज बृजेंद्र सिंह की अदालत ने खारिज कर दिया है
2012 के अजय बरसाती मौत मामले (Ajay Barsati Death Case) में सीबीआई मजिस्ट्रेट कोर्ट (CBI Magistrate Court) के पुलिसकर्मियों पर मुकदमा चलाने के आदेश को स्पेशल सीबीआई जज बृजेंद्र सिंह (Special CBI Judge Brijendra Singh) की अदालत ने खारिज कर दिया है। पुलिस कर्मियों पर आरोप था कि अजय की मौत पुलिस मारपीट के कारण हुई है। वही इस मामले में पुलिसकर्मियों की ओर से स्पेशल सीबीआई कोर्ट में अपील की गई थी। जहां कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि सीबीआई के पास मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। ऐसे में स्पेशल कोर्ट ने लोअर कोर्ट को गुणदोष के आधार पर साक्ष्यों का उल्लेख कर आदेश पारित करने के आदेश दिए हैं। तो चलिए आपको बताते है पूरा मामला क्या था।
दरअसल सितंबर 2012 में उत्तराखंड पुलिस (Uttarakhand Police) ने अजय बरसाती नाम के एक युवक को चोरी के आरोप में पकड़ा था। इसके बाद उसे न्यायालय में पेश किया गया और फिर जेल भेज दिया गया।वही 18 सितंबर को उसकी तबीयत खराब हुई तो उसे दून अस्पताल ले जाया गया। जहां उसकी मौत हो गई। जिसके बाद युवक के परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसे चार सितंबर को गिरफ्तार किया था। इस दौरान उसे आठ दिनों तक अवैध हिरासत में लेकर मारपीट की गई। इससे लगी चोटों के कारण उसकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था साथ ही परिजनों की मांग के आधार पर मामला सीबीआई के पास चला गया था।
वही सीबीआई ने भी इस मामले की जांच के बाद इसपर क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी लेकिन 15 दिसंबर 2022 को स्पेशल सीबीआई मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने इस क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के आदेश दिए थे। जिसको लेकर पुलिसकर्मियों (Policemen) की ओर से निगरानी याचिका स्पेशल सीबीआई कोर्ट में दाखिल की गई थी। स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने पाया कि अजय बरसाती के शरीर पर चोट के निशान थे, लेकिन एम्स की रिपोर्ट भी ये साफ नहीं करती है कि ये चोट पुलिसकर्मियों की मारपीट में लगी है। कुछ गवाह का कहना था कि अजय को चार सितंबर को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अजय की पत्नी ने बताया कि उसकी गिरफ्तारी 12 सितंबर को हुई थी । कोर्ट ने पाया कि अजय के शरीर पर जिस तरह की चोट है, वो भागते हुए गिरने से भी लग सकती हैं। ऐसे में पुलिस मारपीट के कोई ठोस आधार नहीं हैं। वही अब स्पेशल सीबीआई अदालत ने पुलिसकर्मियों पर मुकदमा चलाने के आदेश को खारिज कर दिया है