सफाई कर्मचारियों ने उत्तराखंड में ठेकेदारी प्रथा बंद करने की मांग को लेकर रविवार को देहरादून में मुख्यमंत्री आवास कूच किया। हालांकि पुलिस ने कुछ दूर पहले ही बैरिकेडिंग लगा कर प्रदर्शकारियों को रोक
देहरादून. सफाई कर्मचारियों ने उत्तराखंड में ठेकेदारी प्रथा बंद करने की मांग को लेकर रविवार को देहरादून में मुख्यमंत्री आवास कूच किया। हालांकि पुलिस ने कुछ दूर पहले ही बैरिकेडिंग लगा कर प्रदर्शकारियों को रोक लिया। जिससे नाराज सफाई कर्मचारी वहीं धरने पर बैठ गए. उन्होंने रयाल समिति की सिफारिश लागू करने, कोरोना काल में शहीद सफाई कर्मियों के परिवार को 10-10 लाख रुपये देने की भी मांग की है.
-सभी सरकारी विभागों में सफाई कार्यों से ठेकेदारी प्रथा समाप्त करते हुए विभागीय संविदा पर सफाई कार्मिकों को नियुक्त करते हुए सम्मानजनक वेतन दिया जाए।
-घरों में काम करने वाले गृह सेवक/सेविका को मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न और आर्थिक शोषण से बचाने के साथ ही उनके उत्थान के लिए 'समग्र विकास नीति' बनाने के लिए शासनादेश जारी किया जाए।
-सरकारी विभागों के अलावा निजी क्षेत्रों (प्राइवेट सेक्टर) में कार्य करने वाले सफाई कार्मिकों के शोषण को रोकने के लिए उत्तराखंड सफाई सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड(उसनल )का गठन करने के आदेश जारी किए जाएं।
-शहरी विकास विभाग के निदेशक ललित मोहन रयाल की अध्यक्षता में बनी तीनों कमेटियों की सिफारिश को लागू करते हुए शासनादेश जारी किए जाएं।
-उत्तराखंड में सीवर लाइन/गड्ढ़ों में मृत हुए कार्मिकों (मैन्युअल स्क्वेंजर्स) के आश्रित को 10-10 लाख का मुआवजा व अन्य अनुमन्य लाभ दिया जाए। राज्य गठन से सम्पत्ति की अनिवार्यता हटाते हुए अनुसूचित जाती प्रमाण पत्र दें।
-मृतक आश्रित नियमावली में संशोधन के साथ ही वन टाइम सेटलमेंट जैसे काले कानून, नियमावली 2013, 2016 के शोषणकारी प्रावधान को समाप्त कर अनेकों हताहत कार्मिकों के आश्रितों को परिवार में सरकारी नौकरी होने पर भी अनुकम्पा के आधार पर तुरंत नियुक्ति के आदेश जारी किए जाएं।
-कोरोना काल में कोरोना ड्यूटी में कार्यरत और कोरोना संक्रमण से शहीद हुए सफाई कार्मिकों के आश्रितों को शहीदों जैसे सम्मान पत्र देते हुए 10-10 लाख का मुआवजा और उनके एक आश्रित को सरकारी नौकरी योग्यता अनुरूप देने के आदेश जारी करें।