उत्तराखंड में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है. यह सियासी हलचल नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर कौन बैठेगा, इसके लिए सियासी बिसात बिछना शुरू हो गई है.
देहरादून. उत्तराखंड में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है. यह सियासी हलचल नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर कौन बैठेगा, इसके लिए सियासी बिसात बिछना शुरू हो गई है. साथ ही यह भी चर्चा है कि पार्टी हाईकमान प्रदेश अध्यक्ष को भी बदलने की तैयारी कर रहा है. वहीं एक गुट दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाये जाने की भी हिमायत कर रहा है.
उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन होने के बाद नेता प्रतिपक्ष का पद खाली हो गया था. जिसे जल्द भरा जाना था. इसके लिए केंद्रीय नेताओं के साथ पार्टी दिग्गजो की दिल्ली में पार्टी हाईकमान के साथ बैठकों का दौर जारी है.
नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर कौन विराजमान होगा, इसके लिए कांग्रेस दो गुटों में बंटती हुई नजर आ रही है, जबकि पार्टी आलाकमान नहीं चाहता चुनाव से ऐन पहले किसी प्रकार की कोई खेमाबंदी हो, इसलिए वह भी बीच का रास्ता निकालने की फिराक में है.
उत्तराखंड में कांग्रेस के 11 विधायक थे. लेकिन नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद 10 विधायक विधानसभा में गए हैं. ऐसे में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की लगातार विधायकों से बातचीत कर रहे हैं. साथ ही पूर्व सीएम हरीश रावत से भी लंबी बातचीत कर इसका हल निकालने की कोशिश की जा रही है, वहीं बता दें शनिवार देर रात तक कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से भी प्रदेश के दिग्गज नेताओं ने मुलाकात की थी. ताकि इस संबंध में बीच का रास्ता निकाला जा सके.
अमर उजाला में सूत्रों के हवाले से छपी खबर के अनुसार विधानमंडल दल के नेता के साथ प्रदेश अध्यक्ष के बदलने पर भी विचार किया जा रहा है. ताकि गढ़वाल और कुमाऊं के बीच जातीय संतुलन साधा जा सके. लेकिन इसके लिए प्रीतम गुट तैयार नहीं है, उनका कहना है कि वर्तमान में उप नेता प्रतिपक्ष की ज़िम्मेदारी करण मेहरा संभाल रहे हैं. उन्ही को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी जाए. तो वहीं कुछ विधायक इस पक्ष में नहीं है कि करण मेहरा को नेता प्रतिपक्ष बनाए. उनका कहना है कि करण मेहरा को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर पार्टी का जातीय संतुलन नहीं लग रहा है.
क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष किरण माहरा दोनों ही ठाकुर हो जाएंगे. और अगर चुनाव संचालन समिति की कमान पूर्व सीएम हरीश रावत को सौंपी गई. तो तीनों ही अहम पदों पर ठाकुर हो जाएंगे,, और पार्टी का जातीय गणित गड़बड़ा जाएगा. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने के फार्मूले पर भी विचार किया जा रहा है.
दिल्ली में चल रही बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. अगर चुनाव से पहले इतने बदलाव दखने को मिले तो यकीनन उत्तराखंड का सियासी पारा बढ़ जायेगा.