उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ.गीता खन्ना ने शासन को राज्य में अवैध रूप से चल रहे मदरसों की जांच के निर्देश दिए हैं।
Uttarakhand: उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग(Uttarakhand Child Rights Protection Commission) की अध्यक्ष डॉ.गीता खन्ना ने शासन को राज्य में अवैध रूप से चल रहे मदरसों(madrassas) की जांच के निर्देश दिए हैं। प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण(minority interest) को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, देहरादून के जिस मदरसे में 30 बच्चों का स्वास्थ्य खराब होने की जानकारी मिली। वह न मदरसा बोर्ड, न शिक्षा विभाग में पंजीकृत है।आयोग ने शासन को लिखे पत्र में कहा, निरीक्षण के दौरान पाया गया कि मदरसा पिछले 10-12 साल से चल रहा है। जिसका कहीं पर पंजीकृत होना नहीं पाया गया। जिसका संचालन जुमे में एकत्रित चंदे से किया जाता है। इसके छात्रावास में रहने वाले 55 बच्चे बिहार मूल के हैं। बच्चों का स्वास्थ्य खराब होने के बारे में पूछे जाने पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। आयोग ने कहा, मदरसे में बाहरी बच्चों का मिलना चिंता का विषय है। पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच की आवश्यकता है।आयोग ने कहा, प्रदेश में इस तरह के जितने भी संस्थान हैं और अल्पसंख्यक कल्याण के नाम पर बच्चों के लिए चल रहे हैं। जिन्हें संबंधित बोर्ड से मान्यता नहीं है, और जो सुरक्षा मानकों(safety standards) के अनुरूप नहीं हैं। उनका सत्यापन कर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। आयोग ने कहा, 13 मई 2024 को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी विभाग की बैठक ली थी। जिसके बाद हुई मदरसों की मैपिंग हुई, लेकिन पूरी तरह से तथ्य उजागर नहीं हुए।