कालाढूंगी रोड स्थित आदर्श नगर निवासी ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष घनश्याम रस्तोगी आंध्र प्रदेश के काकीनाडा के डॉ. कृष्णम राजू की नाड़ीपति गोशाला से माइक्रो मिनिएचर गाय-बैल की जोड़ी लेकर आए हैं
HALDWANI NEWS;18 इंच की गाय बैल की जोड़ी... पढ़कर चौंकिए मत,हल्द्वानी में एक गाय प्रेमी परिवार डेढ़ फुट की ऊंचाई की गाय बैल की जोड़ी लाया है जो आसपास के क्षेत्रों में कौतूहल का विषय बन गया है। कालाढूंगी रोड स्थित आदर्श नगर निवासी ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष घनश्याम रस्तोगी(Jewelers Association President Ghanshyam Rastogi) आंध्र प्रदेश के काकीनाडा के डॉ. कृष्णम राजू की नाड़ीपति गोशाला(Dr. Krishnam Raju's Nadipati Goshala) से माइक्रो मिनिएचर गाय-बैल(micro miniature cattle) की जोड़ी लेकर आए हैं घनश्याम रस्तोगी बताते हैं कि बीती पांच जून को वह तिरुपति बालाजी दर्शन को गए थे। वहां उनके बेटे वेदांत के गाय पालने के शौक और डॉ.राजू की माइक्रो मिनिएचर पुंगनूर गाय को लेकर घर पर चल रही चर्चा को बल मिल गया। इसके चलते वह अपने को रोक नहीं पाए और आंध्र प्रदेश() के काकीनाडा पहुंचे और डॉ. राजू से मुलाकात कर गोवंश का जोड़ा पाले जाने की बात की। वह जोड़े को इनोवा गाड़ी के माध्यम से करीब दो हजार किमी दूर हल्द्वानी लेकर पहुंचें पंद्रह दिन पहले गोवंश का यह जोड़ा हल्द्वानी स्थित उनके घर पहुंचा तो इन्हें देखने वालों का तांता लग गया। रस्तोगी परिवार ने इन गाय-बैल का नाम लक्ष्मी विष्णु रखा है। यहां भीषण गर्मी का देखते हुए दोनों के लिए कूलर लगाया गया है। दोनों अब यहां के वातावरण के अनुकूल हो चुके हैं। घर का प्रत्येक सदस्य आध्यात्मिक है जिससे लक्ष्मी और विष्णु को भरपूर प्यार तो मिल ही रहा है जबकि पड़ोसियों को भी इनकी जोड़ी खूब भा रही है। घर की सबसे छोटी सदस्य आकांक्षा कक्षा चार में पढ़ती हैं और उनकी दादी मुन्नी भी बेहद खुश हैं परिवार गो सेवा(cow service) को मानव धर्म बताते हुए कहते हैं कि जब से यह जोड़ा घर पर आया है मानो एक सकरात्मक ऊर्जा का संचालन शुरू हो गया है वहीं, घनश्याम की पत्नी दिव्या का कहना है कि परिवार बारह ज्योर्तिलिंग की यात्रा कर चुका है, शुरू से आध्यात्मिक माहौल रहा है ऐसे में हमें इस जोड़े को रखकर बेहद खुशी हो रही है ऐसा लग रहा मानो परिवार पूरा हो गया है। इनकी सेवा का मौका मिला है तो निश्चित ही सन्मार्ग की प्राप्ति होगी। वहीं शास्त्रों में गौ पालन से तमाम रोग-दोषों का भी निदान भी बताया गया है तो हमारा उद्देश्य यही है कि उत्तराखंड के अन्य परिवारों में हमारी तरह लोग इन्हें अपनाए।
बहरहाल पहले गायों को घर में ही रखा जाता था लेकिन तब एक एकड़ तक में घर होते थे तब बड़ी गाय घर में रखी जाती थीं क्योंकि घर के अहाते में जगह की कमी नहीं होती थी। अब घर छोटी जगहों में बनाए जाते हैं इसलिए छोटे घर में छोटी गाय होनी चाहिए। छोटी गाय का खर्च भी कम आता है और इसका श्रेय डॉ. कृष्णम राजू को जाता है जिन्होंने अपने प्रयासों से लोगों को यह शानदार उपहार दिया।