हल्द्वानी के साउथ जौलासाल फॉरेस्ट रेंज में तेंदुआ और लालकुआं के डॉली फॉरेस्ट रेंज में बाघ की मौत पर आईवीआरआई भेजे गए सैंपल की जांच में इस संक्रमण की पुष्टि हुई है
canine distemper disease; कुत्तों में वायरस(virus in dogs) से होने वाली कैना-इन डिस्टंपर बीमारी(canine distemper disease) का संक्रमण जंगली जानवरों तक पहुंच गया है। हल्द्वानी के साउथ जौलासाल फॉरेस्ट रेंज में तेंदुआ(Leopard in South Jaulasal Forest Range) और लालकुआं के डॉली फॉरेस्ट रेंज में बाघ(Tiger in Dolly Forest Range) की मौत पर आईवीआरआई भेजे गए सैंपल की जांच में इस संक्रमण की पुष्टि हुई है। आशंका जताई जा रही है कि दोनों ने संक्रमित कुत्तों का शिकार किया होगा जिससे वे संक्रमित हुए। हालांकि अभी मौत का कारण सामने नहीं आया है। आई.वी.आर.आई ने इस संबंध में वन विभाग को गाइडलाइन जारी करने का सुझाव दिया है।
फोन पर हुई वार्ता के अनुसार IVRI के कैडरेड विभाग प्रभारी संयुक्त निदेशक डॉ. केपी सिंह(Joint Director Dr. KP Singh) ने बताया कि दो दिन पहले संस्थान के वन्य प्राणी उद्यान(wild animal park) की ओर से जौलासाल रेंज में मृत पाए गए तेंदुआ और लालकुआं के डॉली रेंज में बाघ के लार, मास्तिष्क, फेफड़े, आंत के सैंपल को जांच के लिए कैडरेड विभाग में भेजे गए थे। जांच में कैनाइन डिस्टंपर वायरस होने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट वन्य प्राणी उद्यान को सौंपी गई है पशुपालन विभाग उत्तराखंड के कुमाऊं डिवीजन एडिशनल डायरेक्टर डॉ. उदय शंकर(Kumaon Division Additional Director Dr. Uday Shankar) ने बताया कि कैनाइन डिस्टंपर बीमारी मूल रूप से श्वान वर्ग की बीमारी है, जिसमें वायरस की चपेट में आने से श्वानों में संक्रमण के चलते मस्तिष्क, आंखे, आंत, गुर्दे, त्वचा प्रभावित होते हैं।