रामनगर के प्रसिद्ध गर्जिया देवी मंदिर कोसी नदी के दो धाराओं के बीच एक टीले के ऊपर स्थित है, लेकिन साल 2010 में आई बाढ़ के बाद टीले पर लगातार दरार बढ रही है. जिससे मंदिर पर खतरा मंडरा रहा है.
रामनगर(ramnagar) के प्रसिद्ध गर्जिया देवी(Garjiya Devi) मंदिर कोसी नदी(Kosi River) के दो धाराओं के बीच एक टीले के ऊपर स्थित है, लेकिन साल 2010 में आई बाढ़ के बाद टीले पर लगातार दरार बढ रही है. जिससे मंदिर पर खतरा मंडरा रहा है. जिसका सर्वे कई बार रुड़की(Roorkee) के भूगर्भ वैज्ञानिक(geologist) भी कर चुके हैं. जिसके बाद सुरक्षात्मक कार्य करने के लिए कई बार डीपीआर(dpr) बनाई गई, लेकिन मरम्मतीकरण(repair) के लिए शासन से बजट ही पास नहीं हो पाया। बीते साल बरसात के दौरान सिंचाई विभाग(Irrigation Department) ने बरसात के पानी से मंदिर(Temple) को बचाने के लिए विशेष तिरपाल के जरिए पूरे टीले को कवर कर दिया था. वहीं, दो महीने पहले भी कार्तिक पूर्णिमा के मेले पर भी टीले की सुरक्षा के मद्देनजर मंदिर के नीचे ही माता के पदचिन्ह रखकर दर्शन करवाए गए
बता दें कि सिंचाई विभाग ने स्थायी सुरक्षा के लिए 9.29 करोड़ रुपए डीपीआर बनाकर शासन को भेजा था, लेकिन इस बार भी मूल्यांकन समिति की बैठक में रुड़की टेक्निकल(Roorkee Technical) टीम से इसको मॉडिफाई करने की बात कही. ऐसे में फिर से 3 महीने के लिए गर्जिया देवी के टीले की सुरक्षा का काम लटक गया है. दरअसल, अब फिर से निरीक्षण कर नया प्रस्ताव तैयार किया जाएगा. जिसे दोबारा से शासन को भेजा जाएगा.
फिलहाल, आगामी कुछ महीनों तक मंदिर के सुरक्षात्मक कार्य होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. जिस पर गर्जिया देवी मंदिर समिति से जुड़े पुजारियों और समिति(priests and committee) का आक्रोश बढ़ गया है. जहाँ गर्जिया देवी के मुख्य पुजारी मनोज पांडे(Manoj Pandey) का कहना है कि इन 14 सालों में कई बार तत्कालीन और वर्तमान सीएम से मिल चुके हैं, लेकिन आज तक टीले की सुरक्षा का कार्य नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि सरकार राम मंदिर(Ram Mandir) और कई मंदिर बना रही है, जिसका वो समर्थन करते हैं, लेकिन आस्था के केंद्र गर्जिया मंदिर के टीले की सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं किया जा रहा. जिससे मंदिर पर खतरा मंडरा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सरकार मंदिर की मरम्मत नहीं करवा पा रही है, तो खुद ही मंदिर में ताला(lock in the temple) लगवा दें.