मां नैना देवी मंदिर का आज 137वां स्थापना दिवस है।इस दौरान कोविड -19 के नियमों का पालन करते हुए मंदिर के मुख्य पुजारी ने मां नैना देवी की पूजा-अर्चना की।
देवभूमि उत्तराखंड को ऐसे ही देवभूमि नहीं कहा जाता.यहां देवी-देवताओं का वास है.केदारनाथ,बद्रीनाथ,हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थल यहां मौजूद हैं.पूरे उत्तराखंड में हर जगह हर भगवान,हर देवी-देवता के मंदिर हैं.उत्तराखंड की सबसे मशहूर जगह, सरोवर नगरी नैनीताल के उत्तरी किनारे पर स्थित मां नयना देवी मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि मां सती के नयन नैनी झील में गिरने के बाद मां सती के शक्तिरूप की पूजा के उद्देश्य से ही नयना देवी मंदिर की स्थापना हुई.ये मंदिर नेपाल की पैगोड़ा और गौथिक शैली का समावेश है. शहरवासियों समेत लोगों की मंदिर से जुड़ी आस्था का अंदाजा इसी से लगया जा सकता है कि जो भी देशी-विदेशी सैलानी नैनीताल घूमने आता है. मां के दर्शन किए बिना नहीं लौटता. मां नयना देवी सभी भक्तजनों की मनोकामना पूरी करती है.
मां नैना देवी मंदिर का आज 137 वां स्थापना दिवस है.इस मौके पर शांतिपूर्वक मां की पूजा आराधना की गई.इस दौरान कोविड-19 के नियमों का पूरा पालन किया गया. मंदिर के मुख्य पुजारी के द्वारा ही मां की पूजा आराधना और भोग. सब कार्यक्रम किया गया. भारी बारिश की वजह से मंदिर प्रांगण में कोई भी भक्तजन नहीं पहुंच पाया.