अब तक घोड़ा लाइब्रेरी के माध्यम से नैनीताल के 12 गांवों को लाभान्वित किया गया है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में नैनीताल की घोड़ा लाइब्रेरी को सराहा भी है
Uttarakhand News: उत्तराखंड(uttarakhand) में पढ़ाई लिखाई को लेकर लोगो को मानसिकता काफी बदल रही है। दरअसल अब किताबे पढ़ने के लिए दूर गांव से किसी को शहर की तरफ नहीं आना पड़ेगा। दरअसल अब लाइब्रेरी खुद आपके घर तक आएगी। आपको बता दे की अब एक ऐसी लाइब्रेरी है,जिसकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि दुर्गम से दुर्गम इलाकों में भी इसके जरिए बच्चों तक पुस्तकें पहुंच रही हैं। और इतना ही नहीं, ये सेवा, बिल्कुल नि:शुल्क है। इस लाइब्रेरी का नाम है,घोरा लाइब्रेरी(horse library), बता दे की अब तक घोड़ा लाइब्रेरी के माध्यम से नैनीताल(nainital) के 12 गांवों को लाभान्वित किया गया है।
साथ ही प्रधानमंत्री मोदी(prime minister modi) ने मन की बात(mann ki baat) कार्यक्रम में नैनीताल की घोड़ा लाइब्रेरी को सराहा भी है । बता दे जिले में कुछ युवाओं ने बच्चों के लिए अनोखी घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की है। बेशक गर्मियों की छुट्टियों में बच्चे विद्यालयों से दूर रहे, लेकिन पुस्तकें बच्चों से दूर नहीं रहेगी।
ये पूरा वाक्या नैनीताल जिले के सुदूरवर्ती कोटाबाग विकासखंड(Remote Kotabagh Development Block) के गांवों का है, जहां हिमोत्थान टाटा ट्रस्ट(Himottaan Tata Trust) ने गर्मियों की छुट्टियों में भी बच्चों तक बाल साहित्यिक पुस्तकें पहुंचाने का जिम्मा लिया।
हिमोत्थान के शुभम बधानी ने बताया कि दूरस्थ पर्वतीय गांवों में जहां ना सड़क हैं, ना जाने की अन्य कोई सुविधाएं, कुछ पगडंडी रास्ते हैं, लेकिन वो भी भूस्खलन की मार झेल रहे हैं। ऐसे में हिमोत्थान टाटा ट्रस्ट द्वारा पर्वतीय गांव बाघनी, छड़ा, सल्वा, जलना के युवाओं और स्थानीय शिक्षा प्रेरकों की मदद से घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की गई।
इसमें प्रत्येक 4-5 दिन के अंतराल में दुर्गम पर्वतीय ग्राम तोकों में घोड़ा लाइब्रेरी के माध्यम से पुस्तकें उपलब्ध कराई गई। इस पहल में शिक्षा प्रेरक सुभाष बधानी, स्थानीय लोग हरीश बधानी, मनोज बधानी, रवि रावत, शरद बधानी, कौशल कुमार आदि का विशेष योगदान रहा।