कलपतरू वृक्ष सोसाइटी और त्यार फाउंडेशन की ओर से तितली त्यार का आयोजन किया जा रहा है.प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर हो रहा है ये कार्यक्रम आयोजित.तितलियों का संरक्षण करना इसका मुख्य अद्देश्य है.
कलपतरू और त्यार फाउंडेशन की ओर से आयोजित किए जा रहे तितली त्यार के तहत सोमवार को पांगोट में तितली त्यार का आयोजन किया गया
स्थानीय आयोजक शिवम शर्मा ने बताया कि पंगोट क्षेत्र में वन जीव, पक्षियों के साथ ही तितलियों की भी कई प्रजातियां पाई जाती है
कलपतरू वृक्ष सोसाइटी और त्यार फाउंडेशन की ओर से आयोजित किए जा रहे तितली त्यार के चौथे दिन विभिन्न संस्थाओं से विशेषज्ञ कार्यक्रम में शामिल हुए.इस दौरान उन्होंने कई सारी जानकारियां दी. संस्था की ओर से बटरफ्लाई वाकिंग के साथ ही तितलियों के नेक्टर और होस्ट प्लांट का रोपण किया गया.इसी के साथ तितलियों के संसार पर विशेष जानकारियां भी साझा की गईं.
Bombay Natural History Society से पहुंचे सोहेल मदान ने तितलियों और मौथ के बारे में बताया साथ ही पर्यावरण के अन्य जीवो की इस पर निर्भरता को भी बताया,वहीं सौरव भट्टाचार्य ने बताया कि तितलियां जलवायु परिवर्तन की सबसे बड़ी चेतावनी सूचक हैं.उनका कहना है कि तितली त्यार इसलिए मनाया जा रहा है क्योंकि हमारे देश में कई सारी तितलियों की प्रजातियां है लेकिन अब वो कम दिखाई दे रही हैं,साथ ही उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों की टीम सभी जगह जाकर तितली त्यार का आयोजन कर रही है जिसके बाद सभी विशेषज्ञ मिलकर, किस तरीके से इसके ऊपर कार्य करना है,उस पर चर्चा करेंगे.
बाइट तितलियों के विशेषज्ञ सोहेल मदान