पिथौरागढ़ में फायर सीजन के शुरू होते ही धधकने लगे जंगल

धुंध के कारण आंख और दमा के रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नगर के पास धनौड़ा, रई बस्ते के ऊपरी हिस्सों में शनिवार को जंगल जलते रहे।

पिथौरागढ़ में फायर सीजन के शुरू होते ही धधकने लगे जंगल
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सीमांत जिले पिथौरागढ़ (PITHOAGARH)में गर्मी के बढ़ने के साथ ही जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ने से धुंध छाने लगी है। धुंध के कारण आंख और दमा के रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नगर के पास धनौड़ा, रई बस्ते के ऊपरी हिस्सों में शनिवार को जंगल जलते रहे। कनालीछीना विकासखंड के ध्वज के जंगल भी जलते रहे।
सीमांत जिले में करीब सवा तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल वनों से आच्छादित है। सर्वाधिक क्षेत्रफल 2.77 लाख हेक्टेयर पंचायती वनों(FOREST DEPARTMENT) का है। दूसरा नंबर आरक्षित वनों का है। वन विभाग के अधीन आने वाले इन जंगलों की देखरेख का जिम्मा वन विभाग का है। आरक्षित श्रेणी में 75783 हेक्टेयर वन क्षेत्र हैं। तीसरे नंबर पर सिविल वन हैं, जिनका क्षेत्रफल 41700 हेक्टेयर है। जंगलों को बचाने के लिए वन विभाग ने फायर प्लान बनाया है। जिले में करीब 77 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं, इनके जरिये जंगलों की आग पर निगाह रखी जा रही है। वन विभाग ने जिला मुख्यालय स्थित प्रभागीय वन कार्यालय वन में वायरलेस सिस्टम के लिए टावर बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। शीतकाल में अच्छी बर्फबारी और बारिश होने से फिलहाल जंगलों में काफी नमी है, जिससे आग की घटनाएं अभी कम हुई हैं जबकि कम बारिश के कारण पिछले साल जनवरी से ही जंगल धधकने लगे थे। वर्ष 2021 में जिले में जंगल में आग की कुल 260 घटनाएं हुई थी, जिनसे 488 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था।

 

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