हिमालय दर्शन करने वाले पर्यटकों करना पड़ेगा लंबा इंतज़ार । भारी बर्फबारी के चलते बंद है उच्च हिमालय के रास्ते
हिमालय दर्शन करने वाले पर्यटकों को इस बार लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। हाल ही हुई बारिश और भारी हिमपात से उच्च हिमालय के द्वार बंद पड़े हैं। स्थिति यह हो गई है चीन और नेपाल सीमा को जोडऩे वाली सड़कों पर बर्फ के पहाड़ होने से आवागमन नहीं हो पा रहा है। हालांकि बीआरओ और लोनिवि की टीमें मार्गों को खोलने में जुटी हुई हैैं। 10 हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाले इस क्षेत्र में सड़कों पर अभी भी तीन से चार फीट तक बर्फ जमी है। पिथौरागढ़ मुख्यालय से चीन सीमा लिपुलेख की दूरी करीब 195 किमी है। इसी मार्ग पर तवाघाट से लिपुलेख के बीच करीब 75 किमी का हिस्सा एक महीने से पूरी तरह बंद था। जिसे बीआरओ व लोनिवि की टीमों ने मिलकर गुंजी तक मार्ग खोल दिया है, लेकिन गुंजी से चीन सीमा लिपुलेख तक करीब 18 किमी का मार्ग अभी भी बर्फ से भरा हुआ है। यहां तीन से चार फीट तक बर्फ जमी हुई है। यहां का पारा भी सुबह-शाम शून्य डिग्री से नीचे पहुंच जा रहा है, ऐसे में टीमों को काम करने में दिक्कत आ रही है। यहां से कैलास मानसरोवर यात्रा भी होती है। इसी तरह दारमा वैली के अंतर्गत आने वाली दर-तिदांग सड़क में भी जगह-जगह बर्फ के ढेर लगे हैं। चीन सीमा ही नहीं बल्कि नेपाल सीमा को जाने वाला मार्ग भी प्रभावित है। चीन सीमा से लगे उच्च हिमालय को आम लोगों के आने जाने के लिए एक जून के बाद ही खोला जाता है। इससे पूर्व क्षेत्र में आने जाने पर प्रतिबंधित रहता है। जून के बाद ही उच्च हिमालय में यात्रा सुरक्षित मानी जाती है। इससे पहले यहां हिमस्खलन होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। एक जून के बाद ही इस क्षेत्र से कैलाश मानसरोवर यात्रा और भारत चीन व्यापार भी होता है, लेकिन इस बार एक जून से भी राह आसान होना मुश्किल दिख रहा है। हालांकि कोरोना के चलते पिछले तीन वर्ष से कैलास मानसरोवर यात्रा और भारत चीन व्यापार नहीं हो रहा है।