उत्तराखंड की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर जागर !!

Many specific forms of musical sculptures are prevalent in the inaccessible mountainous areas with complex geographical landscape of Kumaon.

उत्तराखंड की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर जागर !!
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UTTARAKHAND NEWS; कुमाऊं के जटिल भौगोलिक परिस्थितियों वाले दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में संगीत की मौखिक परम्पराओं के अनेक विशिष्ट रूप प्रचलित हैं। कुमाऊं की संस्कृति में बहुत गहरे तक बैठी प्रकृति यहां की लोक संस्कृति के अन्य अंगों की तरह यहां के लोकगीतों में भी गहरी समाई हुई है। इन गीतों का मानव पर अद्भुत चमत्कारिक ईश्वरीय प्रभाव भी दिखाई देता है। ‘जागर’ गीत इसके प्रमाण हैं, जो मानव को इन कठिन परिस्थितियों में युग-युगों से परा और प्राकृतिक शक्तियों की कृपा के साथ आत्मिक संबल प्रदान करते आए हैं, और आज भी ये पल भर में इंसान को न केवल झंकायमान कर देते हैं बल्कि दुःख तकलीफों, बीमारियों की हर ओर से गहरी हताशा जैसी स्थितियों से बाहर भी निकाल लाते हैं। जागर के दौरान मनुष्यों में  देवता का साक्षात अवतरण होता है। इसीलिए पुरानी पीढ़ियों के साथ ही संस्कृति के अन्य रूपों से दूर हो रही और प्रवास में रहने वाली आधुनिक विज्ञान पढ़ी-लिखी पीढ़ी के लोग भी इन्हें खारिज नहीं कर पाते हैं, और पारिवारिक अनुष्ठान के रूप में इसमें अब भी शामिल होते हैं। बता दें जागर के गीतों में लोक देवताओं का कथात्मक शैली में गुणगान करते हुए आह्वान किया जाता है साथ ही इनमें कुमाऊं के सदियों पुराने प्राचीन इतिहास खासकर कत्यूरी शासकों का जिक्र भी आता है | इस प्रकार ये कुमाऊं के इतिहास की मौखिक परंपरा के प्रमाण और ऐतिहासिक धरोहर भी हैं।

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