उत्तराखंड..सातूं आठूं की शुरुआत, जानिए क्यों खास है ये लोकपर्व !!

उत्तराखंड का प्रमुख लोकपर्व है सातूं आठूं, कुमाऊं में सातूं आठूं शुरू हो चुका है। बीते दिन बिरूड़ पंचमी मनाई गई जिसके बाद सातूं आठूं का ये त्यौहार मनाया जाता है

उत्तराखंड..सातूं आठूं की शुरुआत, जानिए क्यों खास है ये लोकपर्व !!
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उत्तराखंड का प्रमुख लोकपर्व (Folk Festival) है सातूं आठूं, कुमाऊं में सातूं आठूं शुरू हो चुका है। बीते दिन बिरूड़ पंचमी मनाई गई जिसके बाद सातूं आठूं का ये त्यौहार मनाया जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती के प्रेम का त्यौहार सातूं आंठू भाद्रपद मास की सप्तमी और अष्टमी को मनाया जाता है। चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं -

कहते हैं की एक बार मां पार्वती भगवान शंकर से नाराज होकर अपने मायके आ गई जिसके बाद भगवान शंकर उन्हें मनाने और उन्हें वापस ससुराल ले जाने उनके घर पहुंचे। भगवान शिव और माता पार्वती की इसी नोंक झोंक भरे प्यार को उत्तराखंड वासी बड़े ही खास अंदाज़ में मानते हैं। बता दें इस उत्सव को कुमाऊं (Kumaon) के सीमांत इलाकों में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दौरान गौरा महेश की मूर्तियां खेतों में उगी फसलों से बनाई जाती हैं। गौरा माता को साड़ी, पिछौड़ा और चूड़ियां पहनाकर सजाया जाता है। वहीं भगवान शंकर को कुर्ता पैजामा और शॉल पहनाया जाता है। सातूं आंठू के दौरान महिलाएं दो दिन का व्रत रखती हैं। अष्टमी की सुबह बिरुड़े जो की अनाजों के मिश्रण से बनाए जाते हैं उन्हें गौरा–महेश को चढ़ाती हैं। इसके बाद झोड़ा चाचरी के बीच माता गौरा और भगवान शंकर के प्रतीकों के साथ नृत्य किया जाता हैऔर फिर मूर्तियों का विसर्जन कर दिया जाता है |
 

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