जी रये जागि रये | ‘हरेला’ यानी हरियाली, सुख-समृद्धि का प्रतीक है ये खास पर्व, जानिए

हरेला उत्तराखंड के कुमाऊं का एक प्रमुख त्यौहार है। ये त्यौहार सामाजिक सौहार्द के साथ ही कृषि और मौसम से भी संबंधित है। हरेला का अर्थ है हरियाली।

जी रये जागि रये | ‘हरेला’ यानी हरियाली,  सुख-समृद्धि का प्रतीक है ये खास पर्व, जानिए
JJN News Adverties

UTTARAKHAND NEWS-: हरेला (Harela) उत्तराखंड (Uttarakhand) के कुमाऊं का एक प्रमुख त्यौहार है। ये त्यौहार सामाजिक सौहार्द के साथ ही कृषि और मौसम से भी संबंधित है। हरेला का अर्थ है हरियाली। इसके साथ ही हरेला पर्व को भगवान शिव के विवाह से जोड़कर भी देखा जाता है। आपको बता दे श्रावण मास में हरेला को ज्यादा महत्व देने की एक वजह इस महीने का शंकर भगवान को विशेष प्रिय होना भी है। जैसा की आप सभी जानते हैं कि उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और पहाड़ों पर ही भगवान शंकर का वास माना जाता है। इसलिए भी उत्तराखण्ड में श्रावण मास में पड़ने वाले हरेला का अधिक महत्व मिला है।

हरेला बोने के लिए किसी थालीनुमा पात्र या टोकरी का चयन किया जाता है। इसमें मिट्टी डालकर गेहूं, जौ, धान, गहत, भट्ट, उड़द, सरसों 5 या 7 प्रकार के बीजों को बो दिया जाता है और नौ दिनों तक इस पात्र में रोज सुबह को पानी छिड़कते रहते हैं जिसके बाद दसवें दिन इसे काटा जाता है। आपको बता दे 4 से 6 इंच लम्बे इन पौधों को ही हरेला कहा जाता है। हरेला हाथों में लेकर घर की मुख्य स्त्री इसे परिवार के सभी सदस्यों के पैर से सिर तक लाती है और कान में या सिर पर रख देती है और इन लाइनों के साथ सभी को आशिर्वाद दिया जाता है. कि हरियाला आपको मिले जीते रहो, जागरूक रहो, पृथ्वी के समान धैर्यवान, आकाश के समान विशाल बनो, सिंह के समान बलशाली, सियार के समान तेज़ बुद्धि हो, दूर्वा के समान पनपो। 

और ऐसे में कह सकते हैं कि घर में सुख-समृद्धि के प्रतीक के रूप में हरेला बोया और काटा जाता है। इसके मूल में ये मान्यता निहित है कि हरेला जितना बड़ा होगा उतनी ही फसल बढ़िया होगी। इसी के साथ ही प्रभु से फसल अच्छी होने की कामना भी की जाती है।

JJN News Adverties
JJN News Adverties