वर्ष 2003 में जब वरुणावत पर्वत से भारी भूस्खलन हुआ था, जिससे उस दौरान लगभग 70 हजार घनमीटर मलबा शहर में पसर गया था।
वर्ष 2003 में जब वरुणावत पर्वत (Varunavat mountain) से भारी भूस्खलन (Landslide) हुआ था, जिससे उस दौरान लगभग 70 हजार घनमीटर मलबा शहर में पसर गया था। उसके बाद भूस्खलन क्षेत्र के उपचार के लिए इसकी तलहटी में तांबाखाणी से लेकर गोफियारा तक के क्षेत्र को संवेदनशील बताते हुए बफर जोन (Buffer zone) घोषित किया गया।
इस जोन में किसी भी तरह के नए निर्माण पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन इसकी निगरानी नहीं किए जाने से बफर जोन में कच्चा व पक्का निर्माण जारी रहा। इसी का परिणाम है कि आज इस क्षेत्र में बहुमंजिला भवन खड़े हो गए हैं। वहीं वर्तमान में भूस्खलन से खतरे की जद में आए गोफियारा क्षेत्र भी निर्माण और अतिक्रमण बढ़ा। अब भूस्खलन के बाद जिला प्रशासन(Administration) यहां पूर्व में घोषित बफर जोन को लेकर गंभीर हुआ है, जिसके बाद यहां दीर्घकालीन सुरक्षा उपायों को लेकर बफर जोन में आने वाले परिवारों को विस्थापित करने योजना प्रस्तावित की गई है।