उत्तराखंड ने अपनी लोक कलाओं के कारण न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में अलग पहचान बनाई है। आज हम बात करने वाले है उत्तराखंड की ऐसी ही कला के बारे में जो पूरे कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र की एक प्रमुख लोक कला है, दरअसल यह कला ऐपण़ के नाम से जानी जाती है, हल्द्वानी की सतीश कॉलोनी में रहने वाली ऋतु कश्यप ने ऐपण कला को ध्यान में रखते हुए कई ऐपण़ बनाकर तैयार की है। जिन्हें बेहद पसंद किया जा रहा हैं, रितु का कहना है कि वह ऐपण कला से सम्बंधित सभी चैकियां बनाती है।
अभी तक उन्होने पूजा की थाली, कलश और ऐपण के विभिन्न अवसरों पर प्रयोग की जाने वाली चौकी बनाई है। ऐपण बनाना कुमाऊँ की एक समृद्ध और गरिमापूर्ण परंपरा मानी जाती है, इसे हर त्योहारों, शुभ अवसरों, धार्मिक अनुष्ठानों और नामकरण संस्कार, विवाह, जनेऊ आदि जैसे पवित्र समारोहों पर बनाया जाता है। रितु अपने कौशन के जरिये उत्तराखंड की इस ऐपण कला को बाहर विदेशों तक पहुँचाना चाहती है। रितु ने बताया कि वह हल्द्वानी के एक निजी स्कूल में ड्राइंग टीचर भी रह चुकी है।
लेकिन उनके पैर में तकलीफ की वहज से उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी थी। उन्होने अपनी 12वीं तक की पड़ाई राजकीय बालिका इंटर कॉलेज से पूरी की है। इसके साथ ही उन्होने हल्द्वानी एमबीपीजी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की है। रितु के माता-पिता, कृष्णपाल कश्यप और मीना कश्यप भी उनका हर काम में सहयोग करते है। उनके पिता एक चाय की दुकान चलाते है, लेकिन रितु ऐपण कला के जरिये अपने जीवन में खूब तरक्की करना चाहती है।