भारतवर्ष में मकर संक्राति के अवसर पर विभिन्न रूपों मे मनाये जाने की प्रथा है। उत्तराखंड में यह पर्व उत्तरायणी के नाम से प्रचलित है। 14 जनवरी को भगवान सूर्यदेव धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। वहीं दक्षिणायन से उत्तरायण हो कर नई उम्मीदों को जागृत करेंगे। ज्योतिषी अशोक वार्ष्णेय ने बताया कि गुरूवार को प्रातः 8ः03 मिनट पर सूर्य मकर राशि में गोचर करेंगे। श्रवण नक्षत्र विद्यमान होने से ध्वज योग बन रहा है।

माना जाता है कि इस योग में सूर्य का राशि परिवर्तन शुभ होता है। लेकिन मकर राशि में पहले से ही शनि व बृह्स्पति विराजित हैं और सूर्य भी। इनके साथ मकर राशि में ही रहेंगे। इन तीनों ग्रहों की एक साथ मौजूदगी देश में ही नहीं विश्व में राजनीतिक, प्राकृतिक व सामाजिक उथल-पुथल के भी योग बन रहे हैं। मकर राशि जलतत्व राशि होने के कारण इस राशि में कई ग्रहों का संयोग बन रहा है। इस साल के पूर्वाद्ध में मकर राशि में षडग्रही योग की संभावना है जो दुनिया में प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने से दुःख उत्पन्न कर सकता है। वहीं ज्योतिष के हिसाब से मकर संक्राति के पश्चात मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। साल 17 जनवरी से बृह्स्पति के अस्त होने से शुभ कार्य नहीं होंगे। उत्तरायणी पर सूर्यास्त तक पुण्यकाल बना रहेगा.