चमोली में आई भीषण आपदा के बाद विपक्ष सरकार के साथ खड़ा हुआ है. सत्ता पक्ष को भी अपने सुझाव दे रहा है. गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद सूबे के मुखिया को सोशल मिडिया के माध्यम से वहां के हालातों से रूबरू कराया है. और साथ ही मुख्यमंत्री को नसीहत भी की है.
उन्होंने ट्वीट के ज़रिये लिखा कि “मुख्यमंत्री जी, इस आपदा व रेस्क्यू ऑपरेशन में आप समस्त राज्य के नेता हैं, क्या आपके मन में यह सवाल नहीं उठ रहा है कि सारी आधुनिकतम तकनीक और केंद्रीय मदद उपलब्ध होने के बावजूद भी आज 4 दिन बाद भी हम टनल के अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पाये हैं.’

उन्होंने लिखा कि हम टनल में ऑक्सीजन पंप नहीं कर पाए हैं और दूसरे ऐसे उपाय नहीं कर पाये हैं. जिससे टनल में फंसे हुये लोगों के जीवित बचने की संभावना बढ़ जाय। प्रभावित परिवारों व क्षेत्रों तक खाद्य सामग्री आदि पहुंचाने के लिए क्या किसी तकनीक की आवश्यकता है. जो दु:खी परिवार अपने प्रियजनों को खोजने के लिए आ रहे हैं, उनके आंसू पोछने का दायित्व भी तो हमारा ही है न, कोई सूचना तंत्र वहां विद्यमान नहीं है.

आप शिलापट दर शिलापट का लोकार्पण कर रहे हैं, आपदा की इस घड़ी में हम बचाव कैसे कर रहे हैं, कैसा समन्वय रख रहे हैं, सूचना तंत्र हमारा कितना प्रभावी है, लोगों तक सहायता पहुंचाने में हम कितने तत्पर हैं, इसी से तो हमारी उत्तराखंड की पहचान मजबूत होगी।
कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने लिखा कि इस तथ्य के बावजूद कि हमने ग्लेशियर के स्वभाव को समझने में चूक की। मैं, इस आपदा के लिए किसी को दोष देने के बजाय आगे की तरफ देखना चाहूंगा और हम कोई गहरी सीख ले सकें यह हम सबका सामूहिक कर्तव्य है। मुख्यमंत्री के नाते इस दिशा में भी आपको ही पहल करनी होगी। टनल में कार्यरत उपकरणों को लेकर अपने मन की आशंका मैंने तपोवन से ही माननीय मुख्य सचिव को बता दी थी।