महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव मंजू तिवारी ने हल्द्वानी के वुडपैकर रेस्टोरेंट में प्रेसवार्ता की। मंजू तिवारी जी ने कहा कि 4 साल पूरे होने वाले है और अभी तक भाजपा सरकार का विकास से कोई नाता नही रहा, अब जब चुनावी वर्ष शुरू हो रहा है तो भाजपा सरकार घोषणाऐं करके जनता का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटकाना चाहती है।
उत्तराखंड राज्य में आज महिलाऐं हाशिये पर है। महिलाओं को प्रसवपीड़ा के लिए मीलों दूरी तय कर शहरो के अस्पतालों में लाया जाता है, अनेक महिलाऐं प्रसवपीड़ा में उपचार के अभाव में दम तोड़ती नजर आती हैं। अधिकांश पर्वतीय व दूरस्थ जिलों में महिलाऐं कुपोषण की शिकार हो चुकी है। पोषण के अभाव में रोगग्रस्त होकर अल्पायु में ही परलोक सिधारती है। महिला सुरक्षा को लेकर उत्तराखंड सरकार आज भी उदासीन है।
थानों में महिला पुलिस अधिकारी की तैनाती या तो नहीं है या केवल सूचना एकत्र करने का केंद्र बनकर रह गई है। महिला हैल्पलाइन नम्बर मात्र औपचारिकता बनकर रह गया है। प्राय: महिलाऐं थाने में आकर अपनी समस्या पुरुष अधिकारी को समझाने में हिचकती है। उनका निस्तारण उनके घर पर जाकर किया जाना चाहिए न कि थाने में बुलाकर। महिला रोजगार के नाम पर उत्तराखंड में भोजन माताओं की नियुक्ति की गई है किंतु मामूली पगार देकर उनके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, यही कारण है कि भोजनमाताएँ सड़को पर है लगभग हजारों भोजन माताए 2000 मासिक वेतन पर कार्य कर रही है तथा वह पगार भी समय पर नहीं मिल रही है।
लगभग 2000 आंगनबाड़ी केंद्र उत्तराखंड में है जिनके लगभग 35000 आंगनवाड़ी कार्यकर्ती कार्यरत है, जिन्हे मामूली मानदेय मिलता है। आज आंगनवाड़ी कार्यकर्ती वेतन बढ़ाने व वेतन को समय पर न देने के लिए आंदोलनरत है। अनेक आंगनवाड़ी महिला नेताओं की नौकरियां समाप्त कर दी है।
उन्होंने कहा कि महंगाई उत्तराखंड की ज्वलंत समस्या है. घरेलु गैस का सिलेंडर रु900 के करीव पहुंच चुका है. दाल सब्जियों के दामों में आग लगी है। महिलाओं का बजट बिगड़ चुका है। महिलाओं को रोजगार, टैक्स, स्वतः रोजगार हेतु धरातल पर उत्तराखंड सरकार की कोई ठोस योजना नहीं है।
उत्तराखंड में पलायन गावों का खाली होकर शहरो की ओर कूच करने तथा बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ योजना में उत्तराखंड राज्य में राज्य सरकार द्वारा बजट की कटौती कर दी है जिसके परिणाम स्वरुप 9वी कक्षा में दाखिल लेने वाली बेटियों को साईकिल प्रदान करने की योजना को भी पलीता लग रहा है। सरकार द्वारा राशन कार्ड में महिलाओं का नाम दर्ज करने का भी अभियान चलाया गया.
उन्होंने कहा कि सरकार महिला उत्पीड़न व महिलाओं के प्रति उदासीनता को छिपाने का प्रयास कर रही है। महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा देने कि बात कर रही है, जमीनों में महिलाओं का नाम दर्ज करने की बात कर रही है, घरो में नेम प्लेट लगाने कि बात कर रही है, हमारा मानना है कि उत्तराखड वर्तमान में आपदा कि भेंट चढ़ चुका है।
केदारनाथ आपदा के बाद तपोवन आपदा ज्वलंत उदहारण है आपदा में सैकड़ो परिवार नेस्तनाबूत हो चुके है इन्हे विस्थापित कर सुरक्षित स्थानों पर इन्हे भूमि, भवन, आवास आवंटित किए जाने की आवश्यकताहै। तभी इन भवनों पर नेमप्लेट लगाने से सरकार का मनमनोवल बढ़ेगा। पुराने आपदाग्रस्त घरों में जीर्णोद्धार न कर विस्थापन की प्रक्रिया न कर केवल नेम प्लेट लगाने से उत्तराखंड की महिला सशक्त नहीं हो सकती।
प्रेसवार्ता मे मंजू तिवारी, नीमा भट्ट (महानगर अध्यक्ष महिला कांग्रेस), संध्या डालाकोटी (प्रदेश सचिव महिला कांग्रेस), पुष्पा सम्मल (वरिष्ठ नेत्री) और कमला सनवाल (कार्यकारी महानगर अध्यक्ष महिला कांग्रेस) ने शिरकत की.