उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है. सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर से चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। ऐसे बहुत से लोग है जो 2022 में विधानसभा जाने का सपना देख रहे होंगे। कौन विधान सभा जाएगा या कौन सरकार बनाएगा ये तो 2022 ही बताएगा।
पर कुछ दिनों से लग रहा है कि जैसे कांग्रेस पार्टी चेहरे की राजनीति में उलझ गई है. अभी कुछ दिनों पहले ही रावत गुट ने हरीश रावत को ही 2022 में मुख्यमंत्री का चेहरा दिखाते हुए हल्द्वानी में एक गाना लॉन्च किया।
मगर इस कार्यक्रम में हल्द्वानी की नेता प्रतिपक्ष ही नदारद रही, फिर इसी गाने को लेकर इंदिरा हृदयेश का बयान सामने आया कि किसी को भी चेहरा चुनना या न चुनना कांग्रेस हाईकमान का निर्णय होता है. कोई भी गाना या फिल्म बनाने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
वहीं गाने के विमोचन के अवसर पर कांग्रेस के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का कहना है कि इस समय की परिस्तिथियों के हिसाब से बिना चेहरे के चुनाव जीतना मुश्किल पड़ेगा। स्थानीय मुद्दों के साथ स्थानीय चेहरा होना उन्होंने वक्त की ज़रूरत बताया।
वैसे अगर देखा जाए तो किसी को चेहरा बनाए जाने या ना बनाए जाने से कुछ फर्क नहीं पड़ेगा, जब तक आप संगठित ही नहीं हो. इस वक्त तो खुद कांग्रेस ही गुटों में बटती नज़र आ रही है।
हरीश रावत के गाने के बाद सोशल मीडिया पर आज कल इंदिरा हृदयेश का भी एक पुराना गाना फिर से बहुत वायरल हो रहा है. जिसमें चेहरे की नहीं हल्द्वानी के विकास की बात की गई हैं. तो ये गाना हरीश रावत के गाने के बाद इंदिरा हृदयेश गुट ने दोबारा सोशल मीडिआ पर वायरल कर दिया है।
मामला यहीं नहीं थमा, आज फिर गांधी जी के शहीद दिवस पर इंदिरा हृदयेश का एक बयान सामने आया है. जिसमें वो किसी को चेहरा बनायें जाने पर अपना रुख साफ़ करती नज़र आई। उन्होंने कहा पार्टी की परम्परा रही है पहले चुनाव को जीतना उसके बाद चेहरा घोषित करना।
वैसे अगर देखा जाए तो कांग्रेस के पास राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गाँधी के रूप में एक चेहरा तो है ही. जिसके ऊपर कांग्रेस ने अनेक चुनाव लड़े है मगर ज़्यादातर चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना ही करना पड़ा है।
इंदिरा हृदयेश भी कह चुकी है की पार्टी के सत्ता में आने के बाद ही किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाता है. वैसे पिछले चुनाव में भी हरीश रावत के चेहरे के साथ ही कांग्रेस चुनाव में उतरी थी मगर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था।
अब कांग्रेस के इस आपसी मतभेद के बीच आम आदमी पार्टी का भी बयान सामने आया है. जिसमें आम आदमी पार्टी कांग्रेस को बीजेपी का मित्र विपक्ष बता रही है. और खुद को भाजपा के सामने प्रबल दावेदार सिद्ध कर रही है.
आप प्रदेश प्रवक्ता समित टिक्कू की बात से तो लग रहा है कि जैसे पार्टियों के इन आपसी मतभेदों से आम आदमी पार्टी प्रदेश में अपना विकल्प प्रबलता से दे सकती है. अब देखना ये होगा की विधानसभा चुनाव में चुनावी ऊँट किस करवट बैठता है।