हल्द्वानी – हर वर्ष 31 जनवरी को ऑपरेशन हिफाजत में शहीद हुए सूबेदार गोपाल सिंह का शहादत दिवस मनाया जाता है।सूबेदार गोपाल सिंह का जन्म अल्मोड़ा जिले के ग्राम खजुरी तहसील रानीखेत में 21 जून 1955 को हुआ था। उनके चार भाई बहन थे। गोपाल सिंह 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद 27 जून 1973 को कुमाऊं रेजिमेंट में शामिल हुए थे। उन्होंने अपना प्रशिक्षण रानीखेत में पूरा किया, उसके बाद उनकी पहली पोस्टिंग 12 कुमाऊं रेजिमेंट में की गई। गोपाल सिंह एक होनहार और अनुशासित सैनिक थे और समय पर उन्होंने अपनी सभी सैन्य योग्यताएं पूरी कर ली इसीलिए समय के साथ-साथ उन्हें पदोन्नति भी मिलती रही।

गोपाल सिंह भारतीय सेना में रहकर देश की सेवा की जिम्मेदारी निभा रहे थे तो इसी दौरान उनकी शादी भी हो गई और वह तीन पुत्रियो और एक पुत्र के पिता बने सेना में रहते हुए उन्होंने सेना के कई कोर्स भी किए और में उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा। समय के साथ-साथ वह नायब सूबेदार फिर सूबेदार के पद पर पदोन्नत किए गए।
इतनी लंबी सेवा के दौरान उन्होंने सेना के कई ऑपरेशनओं में हिस्सा भी लिया और सेना में अपने स्तर के सभी दायित्व का अच्छे से निर्वहन किया उन्होंने अपने अनुशासन और कार्यकलापों में कभी भी किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जिस कारण उन्हें अक्सर अधिक जोखिम भरे और जिम्मेदारी के कार्य दिए जाते थे। 31 जनवरी 1999 को उत्तर पूर्व के एक अशांत क्षेत्र में ऑपरेशन हिफाजत में उग्रवादियों के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान सूबेदार गोपाल सिंह देश के लिए शहीद हो गए।
हर वर्ष 31 जनवरी को उनका शहादत दिवस मनाया जाता है इस वर्ष 30 जनवरी को उनकी शहादत दिवस से पहले जिला सैनिक लीग ने उनके परिवार से संपर्क किया और उनकी कुशलता पूछी इस पर उनके पुत्र ने बताया कि उनके पिता की शहादत के बाद उनके परिवार को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा। शहीद आश्रित कोटे से उनकी बहन ने नौकरी के लिए आवेदन भी किया लेकिन उनको नौकरी नहीं मिल पाई। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 1999 में कारगिल के ऑपरेशन विजय के सभी शहीद जवानों और उनके परिवार को पेट्रोल पंप आवंटित किए गए थे। इसलिए हमने भी यह आस लगाई थी कि पिताजी की शहादत के बाद हमें भी पेट्रोल पंप आवंटित होगा लेकिन कारण जो भी रहा हो हमको कुछ नहीं मिला जिससे कभी-कभी यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सेना में सभी शहीदों को एक सा दर्जा या सुविधाएं नहीं दी जाती। गोपाल सिंह के पुत्र ने बताया की जो होना था हो गया हमारे पिताजी देश के लिए शहीद हुए उनका खून देश की रक्षा के काम आया, इसका हमें फक्र है। अब सभी भाई-बहन ठीक-ठाक जीवन व्यतीत कर रहे हैं और हम अपने पिता की शहादत को नमन करते।