भारत के पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफर ने मंगलवार को उत्तराखंड के कोच के रूप में इस्तीफा दे दिया है. इस मामले में उन्होंने चयनकर्ताओं के हस्तक्षेप और पूर्वाग्रह का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने सीएयू पदाधिकारियों और सलेक्शन कमेटी पर चयन में मनमानी करने समेत कई आरोप भी लगाए। अपने इस्तीफे में उन्होंने कहा कि विजय हजारे ट्रॉफी की टीम घोषित करने से पहले ना तो उनसे पूछा गया और ना ही सलाह ली गई। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में काम करना उनके लिए मुश्किल है.
वसीम जाफर को जून 2020 में राज्य टीम के मुख्य कोच के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने CAU के साथ एक साल का अनुबंध किया था। उत्तराखंड ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2021 में अपने 5 मैचों में से केवल एक जीता।

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (CAU) को दिए एक ईमेल में जाफर ने कहा कि उन्हें “दुख” महसूस हो रहा है क्योंकि संभावित प्रतिभाओं को अवसर से वंचित किया जा रहा है।
“अगर सीएयू के मानद सचिव इस तरह के काम के माहौल को विकसित करना चाहते हैं, तो मुझे टीम के कल्याण और प्रदर्शन से संबंधित कुछ निर्णय नहीं लेने देंगे. तो मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए मुख्य कोच के रूप में जारी रहने का कोई वैध कारण है। उन्होंने आगे लिखा कि “मैं खिलाड़ियों के लिए वास्तव में दुखी हूं क्योंकि मुझे लगता है कि उनके पास बहुत सारी क्षमता है और वे मुझसे बहुत कुछ सीख सकते हैं, लेकिन इस अवसर से वंचित हैं. क्योंकि खिलाडियों के चयन में चयनकर्ताओं और सचिवों का हस्तक्षेप ज़्यादा था.
वहीं, सीएयू के सचिव महिम वर्मा ने जाफर के आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि जाफर को उनकी पसंद की टीम दी गई है। इकबाल अब्दुला समेत महत्वपूर्ण खिलाड़ियों का चयन उनके कहने पर ही किया गया। टीम चयन के दौरान भी उनका सलेक्शन कमेटी के साथ विवाद हुआ।
सीएयू सचिव माहिम वर्मा ने कहा कि वसीम जाफर को टीम की कमान संभालने के बाद से सभी तरह का समर्थन दिया गया था. लेकिन वह चयन मामलों में “बहुत ज्यादा” हस्तक्षेप कर रहे थे। माहिम ने कहा कि विवाद आगे न बढ़े इसलिए उन्हीं की पसंद की टीम दे दी गई। टीम परफॉर्म नहीं कर पाई तो सवाल उठने ही थे। अब विजय हजारे ट्रॉफी की टीम को लेकर भी चयनकर्ता और जाफर के बीच विवाद हुआ। चयनकर्ताओं ने टीम फाइनल करने से पहले जाफर को कई फोन किए लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
जाफर ने आरोप लगाया कि सलेक्शन कमेटी ने सीएयू पदाधिकारियों के दबाव में टीम चुनी है। उन्हें उनकी पसंद की टीम नहीं दी जा रही है। विजय हजारे ट्रॉफी को लेकर जो टीम चुनी गई है, उसको लेकर पहले उनसे बातचीत नहीं की गई। ना तो उनसे कुछ पूछा गया और ना ही सुझाव मांगे गए। उन्होंने कहा कि मुख्य कोच के तौर पर ऐसी परिस्थिति में वे काम नहीं कर सकते हैं।